लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (Life Insurance Corporation)(LIC) के मेगा आईपीओ की लिस्टिंग अगले सप्ताह होगी. सरकार ने इसके लिए इश्यू प्राइस को फिक्स कर दिया है. एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) के लिए सरकार ने 949 रुपए का इश्यू प्राइस फिक्स किया है जो प्राइस बैंड की अपर लिमिट है. इसकी मदद से सरकार 20557 करोड़ रुपए इकट्ठा कर पाएगी. 17 मई को यह आईपीओ लिस्ट होगा जिसे इश्यू साइज के मुकाबले 3 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था. इस आईपीओ का सब्सक्रिप्शन 4 मई को खुला था जो 9 मई को बंद हुआ. 12 मई को शेयर अलोकेट किया गया. सरकार ने लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची है. कुल 22.13 करोड़ शेयर जारी किए गए हैं.
सरकार ने इस आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस 902-949 रुपए फिक्स किया था. रिटेल इन्वेस्टर्स और कंपनी के एंप्लॉयी के लिए 45 रुपए का डिस्काउंट ऑफर किया गया था. पॉलिसी होल्डर्स को 60 रुपए का डिस्काउंट ऑफर किया गया था. पॉलिसी होल्डर्स के लिए इश्यू प्राइस 889 रुपए और रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए इश्यू प्राइस 904 रुपए फिक्स किया गया है.
जानिए भारत का टॉप-3 आईपीओ
भारत के इतिहास का यह सबसे बड़ा आईपीओ होगा. इससे पहले साल 2021 में पेटीएम का 18300 करोड़ का मेगा आईपीओ आया था जो भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ था. तीसरे नंबर पर कोल इंडिया का 15500 करोड़ का आईपीओ है और उसके बाद 11700 करोड़ का रिलायंस पावर का आईपीओ है.
73 लाख एप्लिकेशन मिले
एलआईसी(LIC) आईपीओ को 7.3 मिलियन यानी 73 लाख एप्लिकेशन मिले. इससे पहले यह रिकॉर्ड अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के पास थी जिसे 2008 में 4.8 मिलियन यानी 4 लाख एप्लिकेशन मिले थे.
सोमवार को क्रेडिट हो जाएगा शेयर
जिन निवेशकों को शेयर अलॉटमेंट नहीं हो पाया उन्हें आज रिफंड कर दिया जाएगा. सोमवार को एलिजिबल इन्वेस्टर्स के डीमैट अकाउंट में शेयर क्रेडिट हो जाएंगे. मंगलवार को यह आईपीओ बाजार में लिस्ट होगा. सरकार ने एलआईसी की वैल्युशन 6 लाख करोड़ रुपए लगाई है. यह 5.4 लाख करोड़ की एंबेडेड वैल्यु से 1.12 गुना ज्यादा है.
ग्रे मार्केट प्रीमियम का क्या मतलब है?
मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में जारी दबाव के बीच एलआईसी(LIC) आईपीओ को लेकर सेकेंडरी मार्केट का सेंटिमेंट काफी कमजोर है. ग्रे मार्केट प्रीमियम नेगेटिव में जा चुका है. जब इसका सब्सक्रिप्शन खुला था तब ग्रे मार्केट प्रीमियम 92 रुपए तक पहुंचा था जो अब माइनस 8 रुपए तक लुढ़क चुका है. अगर ग्रे मार्केट का प्रीमियम माइनस में रहता है तो रिटेल निवेशकों के लिए लिस्टिंग रेड जोन में होने की संभावना है. अगर ग्रे मार्केट का प्रीमियम प्लस में होता है तो इसका मतलब लिस्टिंग तेजी के साथ होने की संभावना है.