नई दिल्ली। सरकार गैस सिलेंडरों पर दी जाने वाली सब्सिडी (LPG Subsidy) को पूरी तरह खत्म करने के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गई है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा लोकसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, एलपीजी सिलेंडरों पर सब्सिडी की सरकार की लागत वित्त वर्ष 2011 में 11,896 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2022 में महज 242 करोड़ रुपये रह गई है।
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने गुरुवार को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में संबंधित उत्पादों की कीमत से जुड़ी हुई हैं, हालांकि सरकार घरेलू गैस उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश करती रहती है। उन्होंने बताया कि एलपीजी सब्सिडी के मामले में सरकार ने वित्त वर्ष 2018 में 23,464 करोड़, वित्त वर्ष 2019 में 37,209 करोड़ और वित्त वर्ष 2020 में 24,172 करोड़ रुपये खर्च किए।
लगातार कम हो रहा सब्सिडी को बोझ
वित्त वर्ष 22 में सब्सिडी में आई भारी गिरावट लाभार्थियों की संख्या में कमी और गैस सिलेंडर के बढ़ते खुदरा मूल्य को दर्शाती है। जून 2020 में सरकार ने फैसला किया था कि सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर केवल प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के लाभार्थियों के लिए उपलब्ध होंगे, सब्सिडी पाने वाले लोगों की संख्या में भरी कमी आई है। सरकार ने पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए एक वर्ष में 12 रिफिल तक के लिए 200 रुपये प्रति सिलेंडर की टारगेटेड सब्सिडी शुरू की है। सिलेंडर पर सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है।
बढ़ रही हैं रसोई गैस
बता दें कि हाल के दिनों में खाना पकाने के घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में भी लगातार वृद्धि हुई है। इस महीने की शुरुआत में, तेल कंपनियों ने चार महानगरों में घरेलू सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की बढ़ोतरी की थी। दिल्ली में इन दिनों एक सिलेंडर की कीमत ₹1,053 है। आंकड़ों से पता चला है कि एलपीजी सिलेंडर की कीमतें अप्रैल 2019 में 706.50 रुपये प्रति सिलेंडर से घटकर 1 मई 2020 को 581.5 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई थीं। लेकिन तब से सिलेंडर की कीमत अप्रैल 2021 में की गई 10 रुपये की कटौती को छोड़कर लगातार बढ़ी हैं।