सिरसा (सतीश बंसल) हरियाणा के विश्वविद्यालयों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए चरणबद्ध तरीके से कार्य करना होगा ताकि राज्य सरकार का 2025 तक नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू करने का विजन पूरा हो सके। मातृभाषा से हमें सदैव जुड़कर रहना चाहिए और अन्य भाषाओं के साथ-साथ मातृभाषा पर भी हमारी मजबूत पकड़ होनी चाहिए। यह उद्गार हरियाणा के महामहिम राज्यपाल एवं चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय में विभिन्न शैक्षणिक सेंटरों का उद्घाटन करने के उपरांत फैकल्टी सदस्यों के साथ संवाद करते हुए व्यक्त किये। टैगोर भवन एक्सटेंशन लेक्चर थियेटर में आयोजित इस कार्यक्रम में पहुंचने पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक ने राज्यपाल का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की भावी योजनाओं से अवगत करवाया। महामहिम राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता, कुलसचिव डॉ राजेश बांसल, प्रो. सुरेश गहलावत, जिला पुलिस अधीक्षक उदय सिंह मीणा सहित जिला प्रशासन के अधिकारी एवं शिक्षगण उपस्थित थे। (CDLU)
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कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय की फैकल्टी को इनोवेटिव शैक्षणिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में जितना अधिक गुणवत्तापरक शोध कार्य होगा उतना ही राष्ट्र का विकास सुनिश्चित होगा। उन्होंने तकनीक और विशेष तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स पर आधारित शिक्षा तकनीक अपनाने की सलाह प्राध्यापकों को दी। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि भारत भर में तीन करोड़ से अधिक नौकरियाँ स्किल्ड प्रोफेशनल्स की कमी की वजह से रिक्त पड़ी हैं और इस गैप को पूरा करने की जिम्मेदारी शैक्षणिक संस्थानों की बनती है। युवाओं को व्यवहारिक रूप से दक्ष करके उन्हें न केवल रोजगार हासिल करने के काबिल बनाया जा सकता है बल्कि उनका सर्वांगीण विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है। (CDLU)
राज्यपाल ने अपने निजी अनुभव प्राध्यापकों के साथ साझा किये और कहा कि नवाचार को बढ़ावा देकर बेहतर परिणाम हासिल किये जा सकते हैं। मात्र डिग्री प्राप्त करने से कुछ नहीं होता युवाओं को व्यवहारिक रूप से दक्ष करना होगा और अधिगम एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, इसलिए विद्यार्थियों को निरंतर पढऩे के लिए उत्साहित करना प्राध्यापकों को नैतिक जिम्मेदारी बनती है। इस अवसर पर उन्होंने फैकल्टी ट्रेनिंग के साथ-साथ स्किलिंग व रि-साइकिलिंग की अवधारणा पर भी जोर दिया। उन्होंने अपने भौतिकी के शिक्षक श्री रामाया का उदाहरण भी प्राध्यापकों के साथ साझा किया और कहा कि जो विद्यार्थी या शिक्षाविद अपने प्राध्यापकों का सम्मान करता है उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है। उन्होंने प्राध्यापकों को विद्यार्थियों के लिए आदर्श बनने की सलाह दी और एक अच्छे प्राध्यापक का विद्यार्थी के जीवन में अहम रोल होता है। इस अवसर पर बंडारू दत्तात्रेय ने प्रदेश के पहले सेंसस डाटा रिसर्च वर्क स्टेशन, यूनिवर्सिटी साइंस इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर, यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर कॉम्पिटिटिव एग्जामिनेशन सेंटर के अलावा शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दाखिलों से संबंधित हैंडबुक ऑफ इन्फोर्मेशन का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने के दिये टिप्स राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने फैकल्टी हाउस में सीडीएलयू के विभिन्न संकायों के अधीष्ठाताओं के साथ फैकल्टी हाउस में बातचीत की और कहा कि उद्योग जगत की नामी हस्तियां शैक्षणिक संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं, लेकिन आर्थिक सहायता लेने से पूर्व शैक्षणिक संस्थानों को समाज हित, राष्ट्र हित के साथ-साथ औद्योगिक जगत की मांग के अनुरूप प्रपोजल तैयार करना होता। उन्होंने कहा कि स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हास्पिटैलिटी आदि जैसे एजुकेशन प्रोग्राम प्रारंभ किये जाने चाहिए ताकि विद्यार्थियों को उद्यमी बनाया जा सके। (CDLU)
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उन्होंने विश्वविद्यालयों को स्वावलंबी बनाने की अनेक टिप्स प्राध्यापकों के साथ साझा की। कुलाधिपति ने टीम वर्क के महत्व के बारे में भी प्राध्यापकों को बताया और कहा कि यदि आप अच्छा कार्य करेंगे तो वह संस्थान व राष्ट्र के हित में होगा। उन्होंने धन, शिक्षा व यश को जीवन की अमूल्य धरोहर बताया और कहा कि इन सभी को अर्जित करने में मेहनत करनी पड़ती है तथा साथ की साथ समय भी लगता है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क विराजमान होता है इस लिए प्राध्यापकों को विद्यार्थियों को खेलों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शिक्षक व गैर-शिक्षक कर्मियों के साथ-साथ एससी-बीसी स्टूडेंट्स यूनियन के पदाधिकारियों के साथ भी बातचीत की और विश्वविद्यालय के विकास में बढ़- चढ़कर भाग लेने के लिए उन्हें उत्साहित किया। (CDLU)