आज यानी शनिवार, 29 अप्रैल को गुजरात की अदालत (Modi Surname) कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की सूरत की एक अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि के मामले में (Defamation Case) उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगी। राहुल गांधी को “मोदी उपनाम” के बारे में उनके बयान से उपजी मानहानि के मामले में दोषी ठहराया गया था।
यह मामला गांधी के वकील पी एस चंपानेरी द्वारा 26 अप्रैल को गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति गीता गोपी के समक्ष लाया गया था, लेकिन न्यायमूर्ति ने “मेरे सामने नहीं” कहकर मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। विकास एक दिन बाद आया जब पूर्व सांसद ने उच्च न्यायालय का रुख किया। अब जस्टिस हेमंत प्रच्छक की अदालत उनके मामले की सुनवाई करने वाली है।
20 अप्रैल को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोबिन मोगेरा की सूरत की एक अदालत ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की गांधी की याचिका को खारिज कर दिया। (Modi Surname) अदालत ने कहा था, “अगर इस तरह की शक्ति का आकस्मिक और यांत्रिक तरीके से प्रयोग किया जाता है, तो इसका न्याय वितरण प्रणाली की जनता की धारणा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और इस तरह के आदेश से न्यायपालिका में जनता का विश्वास हिल जाएगा।”
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गांधी ने उच्च न्यायालय में अपनी सजा को इस आधार पर पलटने के लिए याचिका दायर की कि यह अनुपातहीन रूप से कठोर था और इसके परिणामस्वरूप उनकी लोकसभा सदस्यता खोने से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है। राहुल गांधी को 2019 में एक भाषण में मोदी उपनाम वाले लोगों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए 23 मार्च को सूरत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोषी ठहराया और दो साल की जेल की सजा सुनाई।
एक चुनावी रैली में राहुल गांधी द्वारा नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए पूछा गया था कि मोदी उपनाम वाला हर व्यक्ति चोर क्यों है, इसके बाद गुजरात भाजपा नेता पूर्णेश मोदी द्वारा एक आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया गया था। (Modi Surname) गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराया गया था। सजा के एक दिन बाद, नेता को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, सरकार द्वारा राहुल गांधी से उनका सरकार आवास भी खाली करा लिया गया हैं|