नई दिल्ली। चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों की मुफ्त वादों (Freebies) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज अहम सुनवाई होने जा रही है। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने हलफनामा नहीं दायर करने पर चुनाव आयोग की जमकर खिंचाई की थी। चुनाव आयोग का हलफनामा मीडिया में प्रकाशित होने पर आपत्ति जताते हुए अदालत ने कहा था कि क्या हम आपका हलफनामा अखबार में पढ़ें? पिछली सुनवाई के दौरान याची के वकील ने मुफ्त घोषणा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद करने की दलील दी थी। इस पर अदालत ने कहा कि यह हमारा काम नहीं है। इस पर कानून बनाना है, तो केंद्र सरकार बनाए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान विशेषज्ञों की समिति बनाने की बात कही थी।
राजनीतिक पार्टियों की मुफ्त वादों को लेकर पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम पहलुओं को उजागर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त घोषणाओं में फर्क करना चाहिए। इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार को एक कमेटी बनाने का भी सुझाव दिया, जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकार के सचिव के अलावा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नीति आयोग, रिजर्व बैंक और नेशनल टैक्स पेयर्स एसोसिएशन को शामिल किया जाए।
बता दें कि मुफ्त वादों या रेवड़ी संस्कृति का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार विरोध कर रहे हैं, जबकि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार इसका समर्थन कर रहे हैं। यह मुद्दा अगले लोकसभा चुनाव में भी प्रासंगिक रहने की उम्मीद है।