यागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने शत्रु संपत्ति से जुड़े मुकदमे में पूर्व मंत्री आजम खां की जमानत अर्जी पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में जमानत मिलने पर पूर्व मंत्री जेल से बाहर आ सकते हैं। हालांकि राज्य सरकार ने दर्जन भर मामलों में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल भी की है जो विचाराधीन है।
बरेली की अजीमनगर पुलिस ने शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर बाउंड्रीवाल बना इसे घेर लेने के आरोप में 2019 में मुकदमा दर्ज किया था। जमीन मौलाना जौहर अली ट्रस्ट द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में शामिल की गई है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और कोर्ट ने इसे संज्ञान भी ले लिया है।
चार दिसंबर 2021 को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था। इसके बाद 29 अप्रैल 2022 को राज्य सरकार ने पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ नए तथ्य पेश किए। आजम खां के खिलाफ वर्ष 2019 में सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज किए गए हैैं। शत्रु संपत्ति प्रकरण को छोड़कर शेष सभी में जमानत मिल चुकी है।
सरकार ने कहा, जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं : गुरुवार को राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व एजीए पतंजलि मिश्र का कहना था कि आजम खां ने जबरन अपने चेंबर में बुलाकर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। मसूद खा ने इबारत लिखी है। वक्फ एक्ट के सारे उपबंधों को ताक पर रख दिया गया। 1369 फसली की खतौनी से साफ है कि जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है। उन्होंने दस्तावेज भी पेश किया। कहा गया वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को डरा धमकाकर इंदिरा भवन स्थित कार्यालय में दो रजिस्टर मंगा कर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। आजम ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं। अपने लाभ के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। वही मुख्य आरोपित हैं। वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने पक्ष रखा।
दावा, अधिकांश जमीन का कराया बैनामा : आजम के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद अर्से से फैसला नहीं सुनाया है। सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो मई की तारीख मुकर्रर की थी। आजम के अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान ने बताया कि विश्वविद्यालय 350 एकड़ जमीन में बना है। अधिकांश जमीन का बैनामा कराया गया है। कुछ सरकार ने पट्टे पर दी है। इसमें 13 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति का बताते हुए विवाद खड़ा किया गया है। जिलाधिकारी ने 18 जुलाई 2006 को विश्वविद्यालय को 1700 रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन लीज पर दी थी। 20 अक्टूबर 2014 में कस्टोडियन ने लीज रद कर दी। विश्वविद्यालय की तरफ से लगातार लीज के लिए अर्जी दी जा रही है।