Himachal Elections: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी के लिए उसके बागी नेता चुनावी मुसीबत बन गए हैं. राज्य की सभी 68 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होना है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की अधिकांश विधानसभा सीटों पर कुछ हजार मतों का अंतर जीत-हार का फैसला करने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में उसके अपने ही बागी नेता बीजेपी के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं. हर चुनाव में सरकार बदलने की राजनीतिक परंपरा को तोड़ते हुए इस बार सरकार रीति-रिवाज बदलने के नारे के साथ चुनाव लड़ रही है, लेकिन पार्टी के बागियों ने भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ा दी है |
ये भी पड़े – शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन भी उछाल सेंसेक्स 375 अंक चढ़ा |
उनका गृह राज्य होने के नाते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद नाराज और बागी नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी ली. नड्डा लगातार नाराज नेताओं से भी मिले, पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे नेताओं को हर तरह से मनाने की कोशिश की. इस अभियान में जेपी नड्डा को कई मोर्चों पर सफलता मिली, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तमाम प्रयासों के बावजूद अभी भी पार्टी के करीब 21 नेता भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ बागी और निर्दलीय हैं. इन बागी नेताओं में कई दशकों से पार्टी से जुड़े मजबूत नेता भी शामिल हैं, जिनके चुनाव लड़ने से बीजेपी उम्मीदवारों की हार मानी जा रही है. बीजेपी के इन बागी उम्मीदवारों को जितने ज्यादा वोट मिलेंगे, कांग्रेस के उम्मीदवारों को उतना ही फायदा होगा |
ये भी पड़े – क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
ऐसे में बताया जा रहा है कि बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल के लिए इन बागी नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है और जल्द ही इसकी घोषणा की जा सकती है. दरअसल बीजेपी का मानना है कि सख्त कार्रवाई करने से जहां एक तरफ बीजेपी कैडर को साफ संदेश मिलेगा वहीं दूसरी तरफ वोटिंग को लेकर असमंजस में रहने वाले मतदाताओं के मन में बीजेपी प्रत्याशी को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बागी नेताओं पर बीजेपी की इस रणनीति का असर वोटिंग और चुनाव नतीजों पर पड़ेगा या इसका कोई असर होगा. (IANS से इनपुट्स के साथ) | (Himachal Elections)