Implementation of new education policy by 2024-25| नई शिक्षा नीति लागू करने
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Haryana के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने 6वीं से 10वीं कक्षा की इतिहास के नये पाठ्यक्रम वाली पुस्तकों का टैब के माध्यम से किया लोकार्पण

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति को 2024-25 तक लागू करने रखा लक्ष्य

नवटाइम्स न्यूज़ by नवटाइम्स न्यूज़
May 6, 2022
in चंडीगढ़, हरियाणा
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Implementation of new education policy by 2024-25

Implementation of new education policy by 2024-25

पंचकूला, 6 मई- हरियाणा के शिक्षा मंत्री  (Implementation of new education policy by 2024-25) श्री कंवर पाल ने आज पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी, एससीआरटी तथा शिक्षा बोर्ड के तत्वावधान में 6वीं से 10वीं कक्षा की इतिहास की नये पाठ्यक्रम वाली पुस्तकों का टैबलेट के माध्यम से लोकार्पण किया। इसके अलावा उन्हांेने निपुण हरियाणा मिशन के तहत पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए निपुण पुस्तकों का भी लोकार्पण किया।
इस अवसर पर उनके साथ हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन जगबीर सिंह, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव महावीर सिंह, माध्यमिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक श्री जे. गणेशन भी उपस्थित थे।
शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने पुस्तक लोकार्पण उपरांत आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि आज बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन ( फाउंडेशन लिटरेसी न्यूमरेसी मिशन ) के तहत कक्षा तीसरी या 3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में सही लेखन, पढने और अंक गणित के ज्ञान में कमी देखने में सामने आई है।

उन्होंने बताया कि यह बच्चे की शिक्षा के क्षेत्र में नींव रखने का समय होता है और इस समय बच्चा इन विषयों में निपुण नहीं हो पाता तो वह आगे भी शिक्षा में पिछड़ सकता है और उसमें आत्म विश्वास की कमी आ जाती है, जिसके कारण बच्चा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में पीछे रह जाता है।
भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति में इस समस्या को गंभीरता से लिया है और देश के सभी राज्यों को 2026-27 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति को 2024-25 तक लागू करने रखा लक्ष्य | (Implementation of new education policy by 2024-25)

शिक्षा मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने दो कदम आगे बढाते हुए हरियाणा में इस लक्ष्य को 2024-25 तक पूरा करने का संकल्प लिया है। इस मिशन को सफलतापूर्वक हर विद्यार्थी तक पहुंचाने के लिए विशेष टीचर गाईड, वर्कबुक, लर्निंग मेटिरियल, टाईमटेबल और असेसमेंट तैयार किया जा रहा है तथा इस दिशा में बेहतरीन शिक्षक और विषयों के विशेषज्ञों के समूंह द्वारा पाठ्य पुस्तकों पर शोध करके विभिन्न प्रकार की उपयोगी शेक्षणिक सामग्री तैयार की है जो शिक्षकों और छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के लगभग 90 प्रतिशत प्राथमिक शिक्षकों को निपुण भारत और निपुण हरियाणा मिशन के दोनो प्रोग्रामों का प्रशिक्षण दे दिया गया है ताकि यह मिशन सफलतापूर्वक लागू हो सके।

इसके साथ ही शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए 7 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किया जाएगा जिसके तहत प्राथमिक शिक्षकों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को पढाने की विधि को मजबूत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग निपुण हरियाणा मिशन के तहत एक वेबसाईट और एक मोबाइल ऐपलीकेशन शुरू करने जा रहा है। यह मोबाइल ऐप देश में पहला ऐप होगा जिसमें एफएलएन से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर (शिक्षक, अभिभावक, ट्रेनर) इससे जुड़े रहेंगे और जिला, ब्लाक और कलस्टर स्तर पर प्रोग्राम की निगरानी की जा सकेगी।

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उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत वोकेशनल शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। पहले वोकेशनल शिक्षा 9वीं कक्षा से शुरू होती थी परंतु नई शिक्षा नीति में वोकेशनल शिक्षा को 6वीं कक्षा से शामिल किया गया है ताकि प्रदेश के अधिक से अधिक बच्चे वोकेशनल शिक्षा ग्रहण कर रोजगार प्राप्त कर सकें।
नई पुस्तकों में कक्षा 6वीं और 7वीं में प्राचीन भारतीय समाज के शासन, कला, साहित्य, विज्ञान की उपलब्धियों को दिया उचित स्थान
श्री कवंर पाल ने बताया कि नई पाठय पुस्तकों में कक्षा (Implementation of new education policy by 2024-25) 6 से 10 तक इतिहास कोे हमारा भारत-1, हमारा भारत-2, हमारा भारत-3, हमारा भारत-4 एवं भारत विश्व के रूप में कक्षानुसार एवं क्रमानुसार दिया गया है। पहले की पुस्तकों में प्राचीन भारत को कम, छोटे रूप में सतही रूप से दिखाया गया हैं जबकि नई पुरस्तकों में कक्षा 6, 7 व 10 में प्राचीन भारतीय सभ्यता, समाज, शासन, सत्ता, साहित्य,विज्ञान एवं दर्शन की प्रमुख उपलब्धियों को समुचित स्थान देकर वर्णित किया गया है तथा साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु रहे भारत का समुचित विवरण दिया गया है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के विदेशों में संचार को भी समुचित स्थान देने का प्रयास हुआ है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से पूर्व की पुस्तकों में दिल्ली सल्तनत एवं मुगल प्रशासकों के शासन की विस्तार से चर्चा हुई थी और नई पुस्तकों में उनके साथ साथ उनके विरूद्ध हुई स्थानीय, राष्ट्रीय, प्रतिरोधों एवं संघर्षों को भी यथोचित स्थान देने का प्रयास हुआ है। नई पुस्तकों में राजा दाहिर, आनंद पाल, राजा सोहल देव, पृथ्वीराज चैहान, राणा सांगा, मोहन सिंह, राणा प्रताप, हाकिम खान सूर, असनखान मेवाती, दुर्गावती, नायकादेवी इत्यादि के संघर्ष एवं प्रतिरोध को भी समुचित स्थान दिया गया हैं। साथ ही साथ चोल, चालुक्य, पाल, गुज्जर, परिहार एवं विजयनगर समराज्य को समुचित स्थान दिया गया है।

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-नई पाठयक्रम वाली पुस्तकों में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों, शहीदों और वीरांगनाओं को भी किया गया वर्णित

उन्होंने बताया कि इन नई पुस्तकों में हरियाणा के राजा हर्षवर्धन, राव तुलाराम, राजा नाहर सिंह, हुकमचंद जैन, उद्यमीराम, विद्यावति, कस्तूरी बारे, नेकीराम शर्मा, श्री राम शर्मा, छोटूराम इत्यादि नायक नायिकाओं की भूमिकाओं का भी उल्लेख हुआ है। साथ साथ ही रोहनात, अंबाला, हांसी, झज्जर, रेवाड़ी, नसीबपुर, रानिया, सिरसा, बल्लभगढ़, गुडगांव आदि स्थानों पर राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया। नौवीं की पुस्तकों  (Implementation of new education policy by 2024-25) में क्रांतिकारी आंदोलन को समुचित स्थान देते हुये बिरसामुंडा, बल्वंतराय, चापेकर बंधु, वीरसावरकर, सावरकर बंधुओं, श्यामजी कृष्ण वर्मा, अरविंद घोष, बरींद्र घोष, लाला हरदयाल, करतार सिंह सोराबा, रविंद्रनाथ सान्याल, अस्फाक उल्लाखान, अबदुल गफारखान, भगत सिंह, दुर्गा भाभी, राजगुरू, सुखदेव, बीकाजी कामा, उद्यम सिंह के योगदान का विस्तार से वर्णन हुआ हैं। कक्षा आठवीें में राष्ट्रीय भक्ति आंदोलन में संत रविदास कबीर, दादु, नामदेव, रामानंद का उल्लेख किया है तथा सिख गुरू परंपरा के अंतर्गत सभी दस सिख गुरू एवं बाबा बंदा सिंह बहादुर के संघर्ष का भी विवरण किया गया हैं।
श्री कंवर पाल ने बताया कि नई पाठ्यपुस्तकों में सरस्वती सिंधु सभ्यता को छात्रों के सामने रखा गया है। हरियाणावासियों द्वारा इसे ठीक परिपेक्ष्य में समझा जाना और भी अधिक महत्वपूर्ण है। पहले की पुस्तकों में प्राचीन भारत के विवरण को बहुत छोटा और सतइी रूप में दिखाया जाता रहा है जबकि नई पुस्तकों में कक्षा 6वीं और 7वीं में प्राचीन भारतीय समाज के शासन, कला, साहित्य, विज्ञान की उपलब्धियों को समूचित स्थान देकर वर्णित किया गया है।

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उन्होंने बताया कि नई पुस्तकों में उन भारतीय वीरों की जानकारी को प्रमुखता से दर्शाया गया है जिन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया। नई पुस्तकों में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन को भी इसकी समग्रता में छात्रों के सामने रखा गया है। प्रथम स्वाधीनता संग्राम से लेकर समाज के अलग-अलग वर्गों, व्यक्तियों द्वारा इस संघर्ष में दिये गए योगदान को सम्मान और गौरवपूर्ण ढंग से दिखाने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा उन ज्ञात-अज्ञात नायकों की भी इन पुस्तकों में जानकारी दी गई है।
उन्होंने कहा कि अभी तक इतिहास की स्कूली पुस्तकों में 1947 के बाद भारत की प्रमुख घटनाओं के बारे में नहीं बताया गया था।

नई पुस्तकों में इस कमी को दूर करके स्वतंत्रता के बाद के इतिहास को भी सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना के अनुरूप पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण वनवासी गिरी वासी सभी भूभागों से संबंधित घटनाओं और व्यक्तियों को नई पुस्तकों में स्थान देने की कोशिश की गई है। इसके अलावा पुस्तकों की भाषा, साज-सज्जा को छात्रों के आयुवर्ग के हिसाब से रूचिपूर्ण बनाने की कोशिश की गई है।

कक्षा 6वीं से 10वीं तक के इतिहास के नये पाठ्यक्रम में यह विषय किए गए हैं शामिल

शिक्षा मंत्री ने बताया कि कक्षा 6वीं से 10वीं तक की पुस्तकों में केवल इतिहास विषय में ही बदलाव किया गया है और हमारी लोकल भाषा पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। नये जोड़े गए पाठ्यक्रमों के बारे मे जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कक्षा 6वीं में सरस्वती-सिंधु सभ्यता, वैदिक काल, रामायण-महाभारत, विदेशी आक्रमण और उनका भारतीय संस्कृति में समावेश, मोर्य और गुप्त काल का पाठ्यक्रम शामिल किया गया है।

इसी प्रकार कक्षा 7वीं की इतिहास की पुस्तक में हर्षवर्धन, चालुक्य, पल्लव, चैल, पाल, प्रतिहास, प्रचिंग भारतीय शिक्षा और उत्तर भारत के 13वीं व 15वीं सदी के राज्यों, कक्षा 8वीं में मुगल, सिक्ख गुरू परंपरा, राष्ट्र भक्ति आंदोलन, छत्रपति शिवाजी एवं पेशवा, 18वीं सदी का भारत, यूरोपियन घुसपैड, कंपनी की शोषणकारी नीतियां और 1857 की महान् क्रांति, कक्षा 9वीं की पुस्तक में भारत का सामाजिक व सांस्कृतिक पुर्नजागरण, 1857 से 1919 उदारवादी-राष्ट्रवादी, महात्मा गांधी और आजादी का संघर्ष, आजाद हिंद फौज, नेजाजी की भूमिका तथा भारत का विभाजन के बारे में पाठ्यक्रम शामिल किया गया है जबकि कक्षा 10वीं की इतिहास की पुस्तक में सरस्वती-सिंधु सभ्यता, -प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएं, विश्व के प्रमुख दर्शन, मध्यकालीन भारत और विश्व, भारत पर विदेशी आक्रमण तथा आजाद भारत के 50 वर्षों के संघर्ष को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

इस अवसर पर सहायक निदेशक कुलदीप मेहता, प्रोग्राम आॅफिसर प्रमोद कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर रमेश कुमार, एससीआरटी के पूर्व निदेशक डाॅ. ऋषि, के.सी. यादव के अलावा शिक्षा विभाग व हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।

Tags: Education NewsHaryana education BoardHaryana Education MinisterHaryana Education NewsImplementation of new education policy by 2024-25Kanwar PalNew education policy
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