स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल ने कहा कि स्वदेशी, स्वावलंबन एवं शोध को बढ़ाकर भारत (India) को समृद्धशाली बनाया जा सकता है। स्वदेशी का भाव मूल रूप से स्थानीय उत्पादों का प्रयोग एवं प्रोत्साहन करना ही है। हर जिला स्तर पर स्वदेशी उत्पाद सूची तैयार कर उद्यमिता को सहयोग किया जाना तथा जिला स्तर पर विभिन्न माध्यमों से आंकड़े एवं विषय वस्तुओं का शोध एवं अनुसंधान करके हम भारत को वर्ष 2047 तक समृद्धिशाली बनाने में सहयोग कर सकते हैं। कश्मीरी लाल लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय परिषद बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। सिरसा से इस बैठक में विभाग संयोजक दर्शन चावला व जिला पूर्णकालिक नितिन ने शिरकत की।
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परिषद ने भारत की जनसंख्या बोझ नहीं,, अपितु वरदान विषय पर जन अभियान चलाने का निश्चय किया। मंच की राष्ट्रीय परिषद ने शनिवार को समृद्ध भारत 2047 विषय पर एक अन्य प्रस्ताव भी पारित किया। स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संगठक सतीश कुमार ने राष्ट्रीय परिषद में चिंतन एवं मनन के पश्चात वर्ष 2047 तक समृद्ध भारत कैसे बनाया जाए, उसके लिए मंच एवं समाज की अपेक्षा हेतु आठ सूत्र दिए। जिन पर स्वदेशी जागरण मंच अन्य सह वैचारिक संगठनों के साथ मिलकर समाज जागरण के माध्यम से आगामी वर्षों में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि देश भर के प्रमुख अर्थशास्त्रियों, शिक्षाविदों सहित मंच के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि भारत को पूर्ण रोजगार युक्त करना होगा। उसके लिए केवल नौकरी ही रोजगार का साधन है, उसकी तुलना में उद्यमिता रोजगार का बड़ा साधन है।
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यह नेरेटिव पुन: स्थापित करना होगा। उद्यम के माध्यम से ही हम 37 करोड़ युवाओं को समृद्धिशाली राष्ट्र का निर्माण करने में सहभागी बना सकते हैं। समृद्ध भारत हेतु भारत (India) की जनसंख्या युवा एवं गतिमान होनी चाहिए। इस हेतु संयुक्त परिवार, शारीरिक पोषण, स्वस्थ चित्त एवं मन तथा भारत की प्रजनन दर सही करने की आवश्यकता होगी। यही नहीं समृद्ध भारत हेतु भारत की अर्थव्यवस्था को भी विश्व की सर्वोच्च अर्थव्यवस्था बनाना होगा। हमारी जीडीपी को युवा उद्यमियों के माध्यम से विश्व में सर्वोपरि बनाया जा सकता है।
कश्मीरीलाल ने कहा कि भारत को अपना अभेद्य सुरक्षा तंत्र भी विकसित करना होगा। उसके लिए स्वदेशी आयुध निर्माण एवं हथियारों के क्षेत्र में भारत को स्वावलंबी होना होगा। वहीं भारत में रिसर्च एवं डवेलपमेंट को बढ़ाकर विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी लाना होगा। सरकार एवं समाज को मिलकर इस हेतु प्रयास करने होंगे। भारत की विकास गति विश्व के अन्य देशों की तुलना में पर्यावरण हितैषी होनी अनिवार्य है। तभी हम भारत को केवल विकसित नहीं, बल्कि समृद्धशाली बना सकते हैं।