अक्षय ऊर्जा के वैश्विक बाजार का आकार 2022 में 700 अरब डॉलर था, जो 2035 तक बढ़कर 2,000 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। भारत की क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी कैपेसिटी में 2030 तक जबरदस्त इजाफा होने की उम्मीद है। भारत में सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक नॉन-फॉसिल फ्यूल वाले ऊर्जा संसाधनों से 50% बिजली का उत्पादन हो। एजीईएल भारत की पहली रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) कंपनी है जो ‘नेट ज़ीरो एलायंस’ में शामिल हुई है। सीओपी-28 में स्थापित, यह एलायंस प्रमुख ग्लोबल यूटिलिटी और पावर कंपनियों को एकजुट करता है, जो एक स्थायी ऊर्जा भविष्य हासिल करने के लिए एक रणनीतिक नजरिया सुनिश्चित करता है।
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इस प्रोजेक्ट से भारत, सालाना 5 लाख 80 हजार टन कार्बन-डाइऑक्साइड एमिशन से बचने में सक्षम होगा। बड़े पैमाने पर विंड , सोलर, हाइब्रिड और एनर्जी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स को वितरित करने की क्षमताओं के साथ अदाणी कमर्शियल एंड इंडस्ट्रियल कस्टमर को उनकी उर्जा जरूरतों को पूरा करने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए कस्टमाइज्ड रिन्यूबल एनर्जी सोल्यूशन प्रोवाइड करने की अच्छी स्थिति में है। अदाणी ग्रीन का रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो 12 राज्यों में फैला हुआ है, जिसमें से ज़्यादातर उत्पादन राजस्थान और गुजरात में होता है।
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इसके अलावा, खावड़ा एक हॉट-स्पॉट बन चुका है, जहां एक विशाल 30 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट का निर्माण कर रहा है। यह 538 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है, जो पेरिस शहर से लगभग 5 गुना बड़ा है। ये प्रोजेक्ट अल्ट्रा-लार्ज-स्केल रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) प्लांट के विकास के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित करेगा। वित्तीय वर्ष 2024 में काम की शुरुआत के 12 महीनों के भीतर, अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने 2 गीगावाट सोलर कैपेसिटी को चालू कर दिया। पिछले 6 महीनों में 250 मेगावाट की विंड कैपेसिटी को चालू किया और मानसून के बावजूद जमीन पर महत्वपूर्ण प्रगति की है।
भारत की 24 घंटे रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध कराने की कोशिशों में विंड एनर्जी का अहम योगदान है। दिन में सोलर पावर और रात में विंड एनर्जी का उपयोग कर इसे सुनिश्चित किया जा सकता है। इसके अलावा विंड एनर्जी ग्रिड बैलेंसिंग में भी योगदान देती है। खावड़ा में लगी 5.2 मेगावॉट की विंड टर्बाइन बनाने में जर्मन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है और यह अदाणी न्यू इंडस्ट्री लिमिटेड की मुंद्रा पोर्ट की फैक्टरी में बनाई गई है। ये दुनिया के सबसे शक्तिशाली ऑनशोर विंड टरबाइन में शुमार है। ये टरबाइन खावड़ा में उपलब्ध लगभग 8 मीटर प्रति सेकंड की हाई विंड की स्पीड का पूरा उपयोग करते हैं और बिजली की लागत को कम करते हैं। खावड़ा में पूरी तरह से रोबोटिक सफाई तकनीक भी इस्तेमाल की गई है, जिससे मॉड्यूल की सफाई के लिए पानी का उपयोग लगभग ख़त्म हो जाता है और बिजली उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है।