अक्सर जिस उम्र में बच्चे सोचते हैं की उन्होंने भविष्य में क्या करना है ,उस उम्र में एक ऐसा लड़का (Inspiring journey of youngest IPS Officer) जो बनगया भारत का सबसे युवा आईपीएस अफसर।एक ऐसा लड़का जिस के हौसले में जान थी जिस की आंखों में कुछ बड़ा करने जज़्बा था , उड़ान थी, जो कभी मेहनत करने से डरा नहीं ,कभी मजबूरिओ तले दबा नही जिस ने परिस्थितियों को बखूभी समझा जी हाँ हम बात कर रहे है भारत के सबसे कम उम्र के आईपीएस सफ़िन हसन की ।
साफ़िन हसन को कैसे पता चला कि क्या होता है आईपीएस –
जब सफिन हसन अपनी प्राइमरी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनके स्कूल के कार्यक्रम के दौरान वहां पर एक कलेक्टर थे जिनका सम्मान देखकर सफिन हसन दंग रह गए , तो उन्होंने अपनी मौसी से पूछा की कलेक्टर कौन होता है ? उन्होंने आसान भाषा में जैसे बच्चों को समझाया जाता है की कलेक्टर राजा होता है, कथा नायक ने पूछा कि कैसे बना जाता है राजा तो मौसी ने कहा इसके लिए पढ़ना पड़ता है ,पेपर देना पड़ता है और मेहनत करनी पड़ती है| तभी सफिन हसन ने ठान ली की वह भी एक दिन कलेक्टर बनेगा और कुछ कर दिखाया|
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सफिन हसन का जन्म गुजरात के कंडोर जिले में एक गरीब परिवार में हुआ | मां नसीबा ,बहन , पिता मुस्तफा , भाई दोनों एक हीरे की कंपनी में काम करते थे |सन् 2000 कंपनी से काम छूट जाने के बाद पिता मुस्तफा भाई इलेक्ट्रिशियन का काम करने लगे तथा माता 14 सालों तक लोगों के घरों में काम करती थी |सफिन हसन का बचपन अभावों में गुजरा ,सफिन हसन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुजराती मीडियम से की | उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पालनपुर के स्कूल ने 11वीं तथा 12वीं कक्षा की फीस माफ कर दी।
जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई की बारे आई तो फिर वही पुरानी आर्थिक समस्या उत्पन्न हुई ,तो उस समय उनके रिश्तेदारों ने उनकी सहायता की और उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पैसे दिये| पढ़ाई खत्म होने के बाद सफिन हसन यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करना चाहते थे परंतु उनकी जेब में पैसे नहीं थे तो ऐसे में उनके गांव के एक बड़े व्यक्ति हुसैन भाई ओर ज़रीना बेन उनकी मदद की ।
सफिन हसन ने सन 2016 में दिल्ली के बाजीराम के कोचिंग सेंटर से अपनी कोचिंग की शुरुवात की ओर एक साल के अंदर यानी सन 2017 में यूपीएस के एग्जाम में 570 वा प्राप्त किया ओर भारत के सबसे युवा आईपीएस बने| कहानी यहां खत्म नहीं होती है या ऐसा कह सकते है कि कहानी में ट्विस्ट (Inspiring journey of youngest IPS Officer) अब आता है जब साफ़िन हसन अपने upsc मैन्स का चौथा पेपर देने जा रहे थे तब उनकी मोटरसाइकिल स्लीप कर जाने के कारण उन का एक्सीडेंट हो गया जिस के कारण उन को काफी चोट आईं किंतु हॉस्पिटल जाने की बाजय वो दर्द की दवाई खा कर अपना पेपर देंने गए ।
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किस्मत ने साफ़िन हसन की फिर से एक बार परीक्षा ली मार्च 2018 में upsc इंटरव्यू था । 20 फरवरी तक हसन की तबियत बहुत खराब थी। डब्ल्यूबीसी काउंट 30 हजार तक घट गया। इंजेक्शन लग रहे थे, लेकिन बुखार टूट नहीं रहा था। 15 मार्च को अस्पताल से छुट्टी लेकर दिल्ली पहुंचे, ताकि इंटरव्यू की तैयारी कर सकें। एक सप्ताह की तैयारी के साथ इंटरव्यू दिया। जब रिजल्ट आया, तो देशभर में सेकेंड हाईएस्ट मार्क्स मिले ।जो ये बताता है कि हौसले अगर बुलंद हो तो किस्मत भी आप के आगे नतमस्तक हो जाती है ।सफिन हसन आज उन लाखों बच्चों के मार्गदर्शक है जो यूपीएस की तैयारी कर रहे है ।