जयपुर, मार्च 2025: वेदांता ग्रुप अपने संचालन में महिलाओं के उत्कृष्ट योगदान का जश्न मना रहा है, जो लगातार बाधाओं को तोड़ रही हैं और इंडस्ट्री को नई दिशा दे रही हैं। ग्रुप के कार्यबल में फिलहाल 21% महिलाएँ हैं और 2030 तक इसे 30% तक बढ़ाने का लक्ष्य है। खास बात यह है कि इसके लीडरशिप रोल में 28% महिलाएँ हैं, जो भारत की धातु और खनन कंपनियों में सबसे ज़्यादा है। प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में अब तक महिलाओं की भागीदारी कम रही है, लेकिन वेदांता (Vedanta) इस दूरी को खत्म करने के लिए उन्हें अपनी टीम में खास जगह दे रहा है। कंपनी ने सतत विकास के तहत कई नए कदम उठाए हैं, जिनमें बेहतर कार्य माहौल, खासतौर पर महिलाओं की भर्ती, मेंटरशिप प्रोग्राम और तेज़ करियर ग्रोथ के मौके शामिल हैं। महिलाओं को मज़बूत बनाने के लिए ‘नो क्वेश्चन आस्क्ड’ वर्क-फ्रॉम-होम, फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर्स, सालभर की चाइल्डकेयर लीव और पति-पत्नी दोनों की भर्ती जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं। वेदांता ट्रांसजेंडर समावेशन को भी बढ़ावा देता है और शिक्षा व जेंडर अफर्मेशन प्रक्रियाओं के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करता है। (Vedanta)
प्रिया अग्रवाल हेब्बर, हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड की चेयरपर्सन और वेदांता (Vedanta) लिमिटेड की नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ने कहा, “वेदांता में, हम सभी के लिए एक समान और समावेशी कार्यस्थल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी विकास का अहम् हिस्सा बन रही है, और वेदांता इसे आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह समर्पित है। यदि भारत में महिला कार्यबल की भागीदारी 10% बढ़ती है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था को 770 बिलियन अमेरिकी डॉलर का फायदा पहुँचा सकती है। यह सिर्फ समानता की बात नहीं, बल्कि एक बड़े आर्थिक अवसर को साकार करने का भी कदम है। ग्रासरूट स्तर पर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में निवेश करना सिर्फ एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी आर्थिक निर्णय भी है। फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर्स, बिना किसी सवाल के छुट्टी, कौशल बढ़ाने वाली पहलें और नेतृत्व क्षमता विकसित करने के अवसर, जैसी हमारी प्रगतिशील नीतियाँ सुनिश्चित कर रही हैं कि किसी नौकरी का मूल्यांकन जेंडर के बजाए प्रतिभा और क्षमता के आधार पर किया जाए। वेदांता सिर्फ एक पुरुष प्रधान उद्योग में जेंडर भूमिकाओं को ही नहीं बदल रहा, बल्कि एक ऐसा भविष्य गढ़ रहा है, जहाँ विविधता से इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है, समावेशन से प्रगति को गति मिलती है, और हर व्यक्ति के पास अपनी छाप छोड़ने की शक्ति होती है।” (Vedanta)
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20वीं सदी की शुरुआत में धातु और खनन उद्योगों में महिलाओं का काम करना आम था। लेकिन 1923 में भारतीय खनन अधिनियम आया, जिसने महिलाओं के भूमिगत खदानों में काम करने पर रोक लगा दी। 1937 में ब्रिटिश शासन के दौरान यह प्रतिबंध और सख्त हो गया। हालाँकि, 1943 से 1946 के बीच यह रोक अस्थायी रूप से हटा दी गई, जिससे करीब 70,000 महिलाओं को खदानों में काम करने का मौका मिला। फिर भी, लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि खनन और धातु उद्योग महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हैं। आखिरकार, 2019 में सात खनन इंजीनियरिंग छात्राओं की याचिका के बाद सरकार ने यह प्रतिबंध हटा दिया। इसके तुरंत बाद, वेदांता की हिंदुस्तान ज़िंक पहली कंपनी बनी, जिसने अपनी भूमिगत खदानों में महिला खनन इंजीनियरों को नियुक्त कर इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए नया रास्ता खोला। वेदांता (Vedanta) में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली खास पहलें हिंदुस्तान ज़िंक ने भारत की पहली और दूसरी ऑल-वुमेन अंडरग्राउंड माइन रेस्क्यू टीमें बनाई हैं। इन टीमों ने कोलंबिया में हुए इंटरनेशनल माइन रेस्क्यू कॉम्पिटिशन 2024 में दुनियाभर की दिग्गज टीमों को टक्कर देते हुए दूसरा स्थान हासिल किया। (Vedanta)
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भारत का सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, वेदांता एल्युमीनियम, अब ओडिशा के झारसुगुड़ा संयंत्र में एक पूरी प्रोडक्शन लाइन सिर्फ महिलाओं द्वारा संचालित करेगा। यह संयंत्र दुनिया का सबसे बड़ा एल्युमिनियम स्मेल्टर है। इस पहल को तीन चरणों में लागू किया जाएगा, जिसमें 100 से ज़्यादा पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। केयर्न ऑइल एंड गैस ने ‘दुर्गा वाहिनी’ नाम से एक ऑल-वुमेन सिक्योरिटी टीम बनाई है, जो राजस्थान में वेदांता के तेल क्षेत्रों की 38 साइट्स पर सुरक्षा संभाल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की ये महिलाएँ अब क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) का हिस्सा बनकर आपातकालीन स्थितियों से निपटने में अहम् भूमिका निभा रही हैं। (Vedanta)
वेदांता का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके अंतर्गत पूरे मार्च 2025 में कई पहलें चलाई जाएँगी। हिंदुस्तान ज़िंक और वेदांता सेसा गोवा में कुछ महिला प्रोफेशनल्स को सीनियर लीडर्स के साथ काम करने का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें नेतृत्व क्षमता बढ़ाने का अनुभव मिलेगा। सभी बिज़नेस यूनिट्स में सेल्फ-डिफेंस वर्कशॉप्स आयोजित की जाएँगी, जिनमें 15,000 से अधिक महिलाएँ आत्मरक्षा की तकनीकें सीखेंगी। ये वर्कशॉप्स उन्हें खतरा पहचानने, आपात स्थिति में प्रतिक्रिया देने और अपनी सुरक्षा को मज़बूत करने में मदद करेंगी। हिंदुस्तान ज़िंक का ‘सखी उत्सव’ राजस्थान और उत्तराखंड की 10,000 सखी दीदियों को एक मंच पर लाएगा, जहाँ महिला उद्यमिता, सामाजिक बदलाव और प्रतिभा विकास पर चर्चा होगी। वेदांता अपनी बेहतरीन कार्यशैली के ज़रिए एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहाँ महिलाओं को समान अवसर मिलें और वे न सिर्फ खुद को, बल्कि भारत को भी आगे ले जाने में अहम् भूमिका निभाएँ। (Vedanta)