आज यानी सोमवार (29 मई) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) (Navigation Satellite) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष स्टेशन से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) के जरिए एक नौवहन उपग्रह को प्रक्षेपित किया। इसरो ने दूसरी पीढ़ी की नौवहन उपग्रह श्रृंखला के प्रक्षेपण की योजना बनाई है जो नाविक (NavIC) यानी भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगी। यह सॅटॅलाइट भारत और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।
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इसरो के अनुसार, प्रक्षेपण की उल्टी गिनटी रविवार की सुबह सात बजकर 12 मिनट से शुरू हो गई है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से सोमवार सुबह 51.7 मीटर लंबा GSLV अपनी 15वीं उड़ान में दो हजार 232 किलोग्राम वजनी NVS-01 नौवहन उपग्रह को लेकर रवाना होगा। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट पर राकेट लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (GTO) में उपग्रह को स्थापित करेगा।
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जाने आखिर नाविक उपग्रह क्या होते हैं?
नाविक उपग्रह (NavIC) एक खास तकनीक से बने उपग्रह होते हैं। ये उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जाने वाले सात उपग्रहों का एक समूह है, जो ग्राउंड स्टेशनों के साथ कनेक्ट होगा। इन उपग्रहों को खास तौर पर सशस्त्र बलों की ताकत मजबूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है। (Navigation Satellite) इसरो ने भारतीय उपग्रहों के साथ मिलकर जीएसएलवी एनवीएस-1 नाविक को तैयार किया है। यह नेविगेशन सॅटॅलाइट देश (भारत) और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1500 KM के एरिया में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।