सिरसा। (सतीश बंसल) गुरसिख जत्थेदार संत सेवा सिंह जी बालोवाली नामधारी समाज (Social Harmony) के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं और हमेशा रहेंगे। उनका 28 अप्रैल 2023 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। नामधारी गुरुद्वारे में सतगुरु उदय सिंह की हजूरी में जत्थेदार सेवा सिंह के पाठ का भोग 15 मई 2023 को डाला गया।
इस मौके पर भारी संख्या में नामधारी समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे व सतगुरु उदय सिंह ने साधसंगत को उपदेश दिया कि सूर्य उदय से पहले नहा कर नामसिमरन कीजिए। रोजाना ध्यान करने से प्रभु की कृपा होगी और मनवांछित फल व आत्मिक शांति प्राप्त होगी। जत्थेदार संत सेवा सिंह बालोवाली की संक्षिप्त जीवन बारे उन्होंने बताया कि उनका जन्म पाकिस्तान के गांव बलोवाल, जिला सियालकोट में जत्थेदार इंदर सिंह बालोवाली, माता अच्छर कौर के घर हुआ। उन्होंने 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की, उन्हें पंजाबी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान था।
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कविता लिखने का उन्हें बहुत शौक था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय वे 8 वर्ष के थे। सतगुरु जगजीत सिंह के आदेशानुसार जत्थेदार सेवा सिंह ने अपना सारा जीवन, धार्मिक कार्य और समाज सुधार व सामाजिक एकता में लगा दिया। जैसा नाम वैसा काम, सेवा सिंह नि:स्वार्थ सेवा एवं सामाजिक सद्भाव के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सतगुरु जगजीत सिंह ने उन्हें नामधारी गुरुद्वारे के प्रधान व जत्थेदार की उपाधि दी।
शब्द गायन के माध्यम से गुरबाणी का प्रचार-प्रसार करना उनकी रूचि में शुमार था। जत्थेदार सेवा सिंह समाज सेवा की 20 से अधिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। (Social Harmony) इसके अलावा नेत्र चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर लगाने, पार्कों की व्यवस्था में सुधार करने सहितसभी को योग करने के लिए प्रोत्साहित करते थे और स्वयं भी योग शिविर लगाते थे।
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इतना ही नहीं गौ सेवक जत्थेदार सेवा सिंह को उस समय के उपायुक्त उमाशंकर ने सर्व सहमति से प्रधान नियुक्त किया था, जिसमें प्रशासन ने लगभग 72 गौशालाओं के रख रखाव का कार्य उन्हें सौंपा। वे कहा करते थे गौमाता बेसहारा है, आवारा नहीं। वे देशभक्ति की भावना से भी ओतप्रोत थे, (Social Harmony) हर साल वे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और शहीदी दिवस मनाते थे। वे बच्चों को उच्च शिक्षा लेने व धर्म के साथ जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उन्हें 2 दिन पहले ही आभास हो गया था कि उनकी सांसारिक यात्रा पूरी होने वाली है।