बॉलीवुड के सफल लेखक डायरेक्टर और एक्टर अमित असीम (Amit Aseem) का विशेष संवाद नाम टाइम्स न्यूज़ के साथ।
कुछ इस तरह से हुआ संवाद:-
प्रश्न:- सबसे पहले तो आप हमें अपने बचपन के बारे में बताएं और आपको क्या बनने की इच्छा थी?
अमित:- स्कूल मेरा बहुत मस्ती से गुज़रा और खेलों में मैं भाग लेने का बहुत शौकीन था स्कूल से लेकर मेरे कॉलेज तक होने वाले सभी सांस्कृतिक गतिविधियों में मैंने भाग लिया और साथ ही मैं एक एथलीट रहा. यदि मैं अपने बचपन के सपने की बात करो तो मुझे आर्मी में अफसर बनने की इच्छा थी जिसके लिए मैंने CDS के पेपर दिए लेकिन मेरा कुछ कारणवर्ष चयन नहीं हो पाया कॉलेज में मैं खेलों के साथ-साथ थिएटर भी करता था और जब मेरा आर्मी में चयन नहीं हो पाया तो मैंने उसके बाद अपना पूरा ध्यान केवल थिएटर की ओर ही कर लिया।
प्रश्न:- थिएटर से कैसे करें अपने करियर की शुरुआत?
अमित:- अपनी लॉ की पढ़ाई के साथ साथ में थिएटर भी कर रहा था लेकिन मेरा वहां मन नहीं लगा क्योंकि मैंने शुरू से ही ठान रखा था कि लोगों से कुछ हटके करना है फिर इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं अपने घर वालों से बात करके दिल्ली चला गया जहां मुझे मेरे थिएटर के कारण मुझे DD उत्तराखंड और DD कश्मीर में काम करने का मौका मिला फिर कुछ समय बाद में मैंने मुंबई का रुख किया।
प्रश्न:- एक अभिनेता के रूप में आपका कार्यकाल कैसा रहा और फिर निर्देशन की शुरुआत कैसे हुई?
अमित:- एक अभिनेता के रूप में मेरा कार्यकाल गज़ब का रहा क्योंकि मैं मुंबई यह सोच कर गया था कि अगर किसी ने मुझे कहीं डांट-फटकार लगाई या कभी यह कह दिया कि तुम इस काम के लायक नहीं हो तो उसी समय मैं मुंबई (Amit Aseem) छोड़ दूंगा लेकिन कभी कुछ ऐसा हुआ नहीं मुंबई आने के बाद मैंने ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’, ‘सीआईडी’, ‘सावधान इंडिया’, ‘ऐसा प्रेम कहां’ जैसे कई सीरियल्स में काम किया अभिनय के साथ-साथ मेरा ध्यान फिल्म निर्देशन की और गया वास्तव में मैं मराठी फिल्म निर्देशक ‘जय तारी’ के साथ उस समय काम कर रहा था तो उन्होंने ही मुझे प्रोत्साहित किया कि तुम अभिनय के साथ-साथ निर्देशन भी करो बेहतर कर सकोगे इसी तरह काम करते-करते लगभग डेढ़ साल मे मैं पूरी तरह फिल्म निर्देशन करने लगा निर्देशन के साथ-साथ मैंने अपनी लेखनी पर भी पूरा ध्यान रखा और एक प्रमुख निर्देशक के रूप में मैंने अपनी पहली लघु फिल्म ‘छुअन’ करी जिसकी लेखनी भी मैंने ही करी।
प्रश्न:- एक निर्देशक और लेखक के तहत एक फिल्म बनाते और लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है?
अमित:- निर्देशक की पहली शुरुआत होती है स्क्रिप्ट से (जो कहानी लिखी हुई है) क्योंकि एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए एक अच्छी स्क्रिप्ट होना बहुत जरूरी है उसके बाद फिल्म निर्माता के साथ मिलकर उस स्क्रिप्ट को फाइनल किया जाता है स्क्रिप्ट फाइनल होने के बाद एक्टर्स का चयन करना पड़ता है कई बार एक्टर्स के पास समय नहीं होता या कई बार एक्टर बजट में नहीं आ पाते वहां भी दिक्कत आती है ऐसे ही कई छोटी-मोटी परेशानियों को सामना करना पड़ता है लेकिन वास्तव में उन परेशानियों में एक मज़ा भी आता है यदि मैं लिखने की बात करूं तो हमें हमेशा वर्तमान समय को ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि यदि मैं आज कोई कहानी लिखूं और उस पर 5 साल बाद काम करूं तो वह एक तरह से बासी हो जाता है क्योंकि हर समय फिल्म जगत का परिदृश्य बदल रहा है कुछ न कुछ नया जुड़ता चला जा रहा हैं. आपके दिमाग में एक विचार है अब उस विचार को आज के परिदृश्य में कैसे ढालना है उस बात का खास ध्यान रखना पड़ता है।
ये भी पड़े –जीरकपुर में किया 38 युवायों ने रक्तदान – विश्वास फाउंडेशन (Vishwas Foundation)
प्रश्न:- OTT आने से सिनेमा जगत पर क्या प्रभाव पड़ा है आपका क्या नजरिया है?
अमित:- OTT आने से सिनेमा जगत में बहुत कुछ नया जुड़ा है नए-नए लोगों को काम मिला है उन लोगों को नई पहचान मिली है जो पहले सिर्फ एक सहायक (Amit Aseem) किरदार के रूप में काम करते थे और Covid के समय में इसका चलन और तेजी से बढ़ा है लोगों को अवधारणा के आधार पर (Concept Base) चीज़े देखने को मिली है जो शायद पहले नहीं मिलती थी।
प्रश्न:- सिनेमा के विस्तार के साथ भाषा के गिरते स्तर के बारे में आपका क्या कहना है?
अमित:- भाषा का स्तर अगर मैं उधारण देकर कहूं तो थिएटर में फिल्म आई थी ‘Gangs Of Wasseypur’ जो लोगों को काफी पसंद आई, तो वैसी फिल्म देख कर लोगों को एसा लगा कि यदि हम फिल्म में अभद्र भाषा का प्रयोग करेंगे तो वह चीज़ हिट हो जाएगी यदि मैं हास्य अभिनेताओं की बात करूं तो वह लोग भी आजकल ऐसी भाषा का प्रयोग करने लगे हैं तो वह भाषा कहीं ना कहीं श्रोताओं को पसंद आ रहा है भाषा का स्तर तो गिरा है इसमें कोई शक नहीं है और यदि में बात करूं तो कामुख चीजें एक समय में इतना नहीं दिखाई जाती थी जितना आब देखने को मिल रहा हैं तो यह सब देखकर मुझे लगता है फिर चाहे वह हम अभद्र भाषा ले या कामुख दृश्य इन सब को एक सीमित स्तर तक रखना चाहिए यदि जरूरत है तो इस्तमाल करना चाहिए अगर जबरदस्ती डालने से उसमे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
प्रश्न:- आपको किनसे क्या क्या सिखने को मिलता है?
अमित:- अगर मैं अपने बचपन की बात करूं तो मैं अजय देवगन से बहुत प्रेरित होता था और मुझे बहुत पसंद थे अजय देवगन और उसके बाद जब मैंने थिएटर (Amit Aseem) करना शुरू किया तो मुझे मनोज बाजपेई बहुत पसंद आए फिर जब मैं निर्देशन में आया तो जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला वह है राम गोपाल वर्मा और संजय लीला भंसाली फिर फिल्मों से मुझे बहुत कुछ नया सीखने को मिला ऐसा मेरा मानना है।
प्रश्न:- उत्तराखंड से दिल्ली फिर दिल्ली से मुंबई तो इन सब के बिच आपका संघर्ष कैसा रहा?
अमित:- उस दौर में संघर्ष तो बहुत अच्छा खासा रहा क्योंकि आज भी कहीं ना कहीं मुझे लगता है जिस देश में हम रहते हैं वहां परिवार का इतना साथ नहीं होता उनका यही कहना होता है कि बस पढ़ो लिखो और एक अच्छी सी नौकरी पकड़ कर शादी कर लो क्योंकि जब मैंने एक्टींग करना शुरू किया था तो उस समय जब कोई पूछता था कि बेटा क्या कर रहे हो आप कहते थे एक्टिंग करते हैं तो लोग कहते थे वह तो ठीक है इसके अलावा क्या करते हो इसलिए कहीं ना कहीं आज भी वही परिदृश्य है लोगों का मेरा इस विषय पर यही कहना है कि यदि आपके जीवन में संघर्ष नहीं होगा तो वह मुकाम हासिल करने का मजा नहीं आएगा जिसको आप पाना चाहते हो यदि कामयाबी आपको बिना संघर्ष के मिल जाएगी तो आप उसकी कदर नहीं कर पाते।
ये भी पड़े – क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
प्रश्न:- नकारात्मकता को आप सकारात्मकता में कैसे बदलते हैं और किस तरह की फिल्मे बनाना आपको ज्यादा पसंद है?
अमित:- वास्तव में ऐसा मेरे साथ तीन बार हूआ एक कहावत है कि ‘मुंबई आपको तीन बार लात मारती है फिर आपको अपने में समेट लेती है’ मुंबई में जब मेरे साथ कुछ अच्छा नहीं हो रहा था तो मैं वापस घर लौट गया था लेकिन घर पर मेरा मन नहीं लगा क्योंकि सारा दिन मेरे दिमाग में केवल एक्टिंग ही चलती रही फिर वापस दोबारा मैंने मुंबई (Amit Aseem) का रुख किया इस तरह मेरे साथ कई बार हुआ इन सबके बीच मैंने अपने बारे में खूब सोचा कि मैं अच्छा क्या कर सकता हूं फिर अंत में मैंने निर्णय लिया अब जो करना है निर्देशन में ही करना है इसके अलावा और कुछ करना ही नहीं है मैं ‘डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम’ की लिखी किताब ‘Wings Of Fire’ से बहुत प्रेरित होता हूं क्योंकि जिंदगी में कुछ करने के लिए आपका लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए तभी आप कामयाब हो पाओगे और अगर मैं किस तरह की फिल्मे बनाना पसंद करता हूं उसकी बात करूं तो मुझे ‘suspense thriller’ फिल्म बनाना पसंद है लोगों को हमेशा उत्तेजित रखना कि आगे क्या होने वाला है।
प्रश्न:- जो आज की युवा पीढ़ी है जो इस इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहती है उनको आप क्या सुझाव देना चाहोगे?
अमित:- मेरा इस विषय पर यही कहना है कि सबसे पहले आपका लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए कि आप जीवन में करना क्या चाहते हैं क्योंकि जब तक आपका लक्ष्य स्पष्ट नहीं होगा तब तक आप ज़िंदगी की भवर में भटकते रह जाओगे आज की पीढ़ी को लगता है कि मैं दिखने में अच्छा, बोलने में हूं तो मैं एक्टिंग कर सकता हूं लेकिन ऐसा कुछ है ही नहीं यदि इतना आसान होता तो हर कोई सिनेमा जगत में आना चाहता है इस तरह तो कोई भी आ जाएगा आपको वाकई इस इंडस्ट्री में काम करना है तो पहले आप इस इंडस्ट्री के बारे में जाने सीखें अपने ऊपर काम करें अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करें तो आप निश्चित रूप से कामयाब होंगे।
प्रश्न:- आपके जीवन का कोई ऐसा रोमांचक पल जो आप हमें बताना चाहोगे?
अमित:- मेरे जीवन के ऐसे दो पल है जो मैं आपको बताना चाहूंगा एक समय मुझे Zee के सिरीयल में चुना गया था तो उस समय मुझे कॉल पर कहा गया था कि आपको सीरियल के लिए फाइनल कर लिया गया है यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ मैंने अपने सभी जानने वालों को बताया लेकिन अचानक अगले दिन मुझे पता चलता है कि मेरी जगह उस सीरियल (Amit Aseem) में किसी और को ले लिया गया है तो उस समय मुझे समझ नहीं आया कि मैं रोऊं या हंसू मैं बहुत हैरान हुआ और दूसरा एक पल यह रहा कि जिस समय हम अपनी फिल्म नाखून की शूटिंग कर रहे थे तो उस समय जो हमारी फिल्म की हीरोइन थी उसका अपने बॉयफ्रेंड से किसी बात को लेकर बहस चल रहा था जिसपर उसने ज़हर खा लिया था अगले दिन हमे पता चलता है कि हम सेट पर उसका इंतजार कर रहे हैं और हमारी हीरोइन हॉस्पिटल में है वह भी मेरी जिंदगी का एक चोंकाने वाला पल था।
प्रश्न:- आपको इंडस्ट्री में इतने साल हो गए और आपने इन दिनों में कई उतार-चढ़ाव देखे तो आप अपने पुराने दिनों को कैसे याद करते हैं?
अमित:- पुराने दिनों की बात करूं तो वह दिन अच्छे थे मेरे हिसाब से क्योंकि संघर्ष बहुत था जो हमने देखा है और किया है उस समय जब हम किसी फिल्म (Amit Aseem) की शूटिंग पर जाते थे तो हमें आदमी से ज्यादा सामान लेकर जाना पड़ता था लेकिन आज के टाइम लोगों का काम डिजिटल आने से कम हुआ है और अगर मैं अपने पसंदीदा समय की बात करूं तो मै पुराना समय पसंद करूंगा क्योंकि पहले के लोगों में काम करने को लेकर जुनून था एक जज्बा था वह मुझे आज की पीढ़ी में बहुत कम दिखता है कोशिश करना सब चाहते हैं लेकिन उनके अंदर धैर्य भावना देखने को नहीं मिलती उस समय एक आदर भावना थी जो आज देखने को नहीं मिलती जिस तरह से आज का परिदृश्य बदला है उन सब को देखते हुए मैं पुराने टाइम को पसंद करना बेहतर समझता हूं ऐसा मेरा मानना है।
अभिनेता, निर्देशक और लेखक अमित असीम के साथ विशेष संवाद हमारे पत्रकार पिंटू राय द्वारा किया गया।