वर्तमान में अधिकांश लोगों की सबसे बड़ी समस्या है “क़र्ज़ा” (karz) | व्यक्ति क़र्ज़ क्यो लेता है , फिर कर्ज चुका क्यो नही पाता | कई बार कर्ज चुकाते चुकाते पुरी ज़िन्दगी बीत जाती है और कर्ज के चक्कर में घर ,दुकान और प्रोपर्टी तक बिक जाती हैं | कर्ज लेना मज़बुरी है या बुरी आदत आख़िर क्यो आती है ऐसी नौबत ऐसे कुछ सवाल है जिनका जवाब और समाधान आपको वास्तु से मिल सकता है।
क़र्ज़ा बढ़ने के क्या है कारण :-
* घर की वायव्य दिशा में वास्तु दोष होने पर कर्ज लेने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है इससे व्यक्ति बिना आवश्यकता के ही कर्ज के चक्कर में फँस जाता है
* घर के अग्निकोण दक्षिण-पुर्व ) में दोष होने पर ख़र्चे इतने बढ़ जाते हैं की कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाता है
और प्रतिष्ठा दाव पर लग सकती है
* घर की ईशान दिशा (उत्तर-पुर्व ) मे वास्तु दोष होने पर गृहस्वामी अपनी मूर्खता से कर्ज के चक्कर में फँसता है
शेयर मार्केट , जूआ ,सट्टा, लाटरी से धन कमाने के लालच मे कई लोग बिना बात ही क़र्ज़दार बन जाते हैं
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* अगर घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम ) में वास्तुदोष हो तो ऐसे लोगों को कर्ज (karz) उतारने के लिए अपने घर ,प्रोपर्टी और दुकान तक बेचने के लिए मज़बुर होना पड़ सकता है
* गृहस्वामी का बैडरूम वायव्य दिशा में हो तो इससे व्यवसाय पर नियन्त्रण नही हो पाता और व्यवसाय में हानि होने लगती है परिणामस्वरूप क़र्ज़ा बढ़ सकता है
* घर की पुर्व दिशा में सीड़ियों या अन्य कोई ऊँचा निर्माण हो व नैऋत्य कोण में टायलेट या बेसमेंट हो तो गृहस्वामी कर्ज चुका नही पाता और कर्ज की वजह से उसे जेल भी जाना पड़ सकता है
* जन्मपत्री में शनि ग्रह अशुभ हो तो नये घर का निर्माण करने या पुराने घर में नवनिर्माण से वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं जिनसे क़र्ज़ा बढ़ता है।
* शुक्र ग्रह अशुभ हो तो घर में इंटिरियर करवाने व ज्यादा लकडी का प्रयोग करने से दोष पैदा होने की वजह से क़र्ज़ा बढ़ता है।
* राहु ग्रह अशुभ हो तो उत्तर पुर्व दिशा में खुले हुऐ हिस्से को कवर करवाने , निर्माण से भारी करवाने, घर के पास उत्तर पुर्व दिशा में ऊँचा मकान बनने , अशुभ दिशा में खडडा खोदने या फालतु का सामान गंदगी सीलन की वजह से घर में वास्तु दोष बढ़ने पर क़र्ज़ा बढ़ता है।
* बुध ग्रह अशुभ हो तो ड्राइंग रूम में इटिरियर करवाने,गार्डन व पेड़ पौधे लगवाने व कन्या के विवाह के बाद क़र्ज़ा बढ़ सकता है।
* वायव्य दिशा में वास्तु दोष के क्या बनते है कारण
जैसे की :-
अण्डर ग्राउंड पानी का टैंक ,कुआँ ,बोंरिग, बेसमेंट ,नीचा फ़र्श ,विस्तार, खड़्डा ,मुख्य द्वार या नैऋत्य कोण से ऊँचा निर्माण होने पर वायव्य दिशा दुषित हो जाती है और क़र्ज़ा लेना गृहस्वामी की मजबूरी बन जाती है नीलाम होने वाली सम्पत्तियों में वायव्य दिशा के वास्तु दोष मुख्य कारण बनते हैं
क्या करें उपाय :-
* कर्ज (karz) से परेशान गृहस्वामी को घर के दक्षिण पश्चिम या नैऋत्य कोण वाले बैडरूम में ही सोना चाहिए
* बैडरूम के नैऋत्य कोण में उत्तर या पुर्व मुखी अलमारी रखकर उसमें ही अपना पैसा ,प्रोपर्टी के काग़ज़ात और ज़ेवर रखने चाहिए इससे धन की वृद्धि होगी और कर्ज माँगने वाले ज़्यादा परेशान नही करेंगे
* इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बैडरूम की वायव्य और नैऋत्य दिशा में कोई गेट या खिड़की ना हो अगर हो तो उसे बंद ही रखें
* धन आगमन का सम्बन्ध घर की उत्तर दिशा से होता है इसलिए उत्तर दिशा मध्य में, मुख्य द्वार या अण्डर ग्राउंड पानी का टैंक बनाने से भी कर्ज से तुरन्त राहत मिल जाती है
* कर्ज की वजह से अगर मकान बेचने की नौबत आ जाये तो तुरन्त घर के नैऋत्य कोण को ऊँचा और भारी करवा देना चाहिए अगर इस दिशा में निर्माण करवाना संभव ना हो तो एक ऊँचा लोहे का एंग्ल या पिल्लर बनवाकर और कुछ ईंटें या भारी सामान रखकर भी इस दिशा के दोष कम किये जा सकते हैं
* उत्तर व पुर्व दिशा में भूलकर भी भारी वस्तु न रखें अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ सकता है यदि उत्तर दिशा में ऊँची दीवार बनी है तो उसे नीचा करके दक्षिण में ऊँची दीवार बना दें ,
भूमि का ढलान भी उत्तर ,पुर्व या ईशान दिशा में करने से कर्ज से तुरन्त राहत मिल सकती है।
शनि शुक्र राहु व बुध जैसे ग्रहों के दोष की वजह से क़र्ज़ा (karz) बढ़ रहा हो तो इनसे सम्बन्धित वस्तुओं को घर में कम रखें इनका अधिक से अधिक दान करें।
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नोट- इन ग़लतियों की वजह से भी मुश्किल हो जाता है क़र्ज़ चुकाना…..
मंगलवार के दिन कभी किसी से उधार नही लेना चाहिए माना जाता है की ये क़र्ज़ बड़ी मुश्किल से उतरता है
अपनी अशुभ दिशा में रहने वाले लोगों से कभी भूलकर भी क़र्ज़ा नही लेना चाहिए ( अशुभ दिशा का निर्धारण जन्मपत्री से होता है)
किसी मन्दिर में चढ़ावे पर आया हुआ पैसा या किसी ऐसे व्यक्ति से कभी क़र्ज़ (karz) नही लेना चाहिए जिसके पास दुखी और परेशान लोगों के द्वारा धन आता हो।