मध्य प्रदेश में खरमोर पक्षी के नाम पर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं, इसे लेकर सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में काफी समय से खरमोर पक्षी को विदेश से आना बताया जा रहा था. लेकिन मध्य प्रदेश के धार जिले के राजगढ़ के एक सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय भंडारी ने इस मामले को बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी में रखा, जिसके बारे में कहा गया कि यह पक्षी पूरी तरह से भारतीय पक्षी है! लेकिन कुछ लोग ऐसी ग़लत जानकारी फैला रहे हैं कि यह पक्षी ऑस्ट्रेलिया का है इसलिए इसे बचाना ज़रूरी नहीं है| (Kharmor)
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बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी द्वारा मध्य प्रदेश में फैलाये जा रहे भ्रम का हुआ पर्दाफाश| खरमोर लेसर फ्लोरिकन भारत में पाई जाने वाली चार बस्टर्ड प्रजातियों में से सबसे छोटा पक्षी है। ये पक्षी भारत के खुले मैदानों में पाए जाते हैं। प्रजनन काल में नर चमकदार काले रंग का हो जाता है और सिर पर सुंदर कलगी उभर आती है। मादा नर से थोड़ी बड़ी होती है। यह अनियमित रूप से स्थानीय प्रवासन करता है। एक समय में ये बड़े पैमाने पर पाए जाते थे, लेकिन अब इनकी आबादी गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ स्थानों पर ही बची है।
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यह मुख्य रूप से भारत के मध्य और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में प्रजनन करता है। यह गैर प्रजनन मौसम के दौरान दक्षिण-पूर्व भारत में प्रवास करता है। कीड़े, सेंटीपीड, छिपकलियाँ, टोड, टिड्डे, पंख वाली चींटियाँ और बालों वाली कैटरपिलर उनका मुख्य भोजन हैं। इसे पौधों के साथ-साथ अंकुरों और बीजों को भी खाते हुए देखा गया है।खरमोर मध्य प्रदेश में सैलाना (रतलाम), सरदारपुर (धार), पेटलावद (झाबुवा), जीरन (नीमच) में पाया जाता है। खरमोर की घटती संख्या चिंता का विषय बन गई है, अगर समय रहते इस पक्षी को नहीं बचाया गया तो आने वाले दिनों में यह पक्षी किताबों के पन्नों तक ही सीमित होकर रह जाएगा। इस पक्षी को बचाने के लिए हमें घास, मैदानों को बचाना होगा। खरमोर आया खुशिया लाया, इस गाने को हर घर तक पहुंचाना है| (Kharmor)