Dakshinavarti Shankh Benefits:- हम सभी को पता है की धन की देवी माता लक्ष्मी को कहा जाता है, हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है की माता लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी, जिसके चलते माता लक्ष्मी का एक ही स्थान पर ठहरने का स्वभाव नहीं है. मान्यतों के अनुसार मनुष्यों के साथ-साथ देवी-देवताओं को भी माता लक्ष्मी द्वारा ही वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. अपने जीवन में खुशियां और संपन्नता लाने के लिए हर व्यक्ति विभिन प्रकार के उपायों को अपनाता है, जिससे उसका जीवन सुखी हो सके. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपायों का उल्लेख बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि यदि आप अपने घर में माता लक्ष्मी की प्रिय वस्तु को रखते है तो उससे मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसती है. शंख माता लक्ष्मी की प्रिय वस्तुओं में से एक है.
ये भी पड़े – जीरकपुर-कालका हाईवे पर स्थित आसमां रिवॉल्विंग रेस्टोरेंट में लगी भीषण आग, आसमान में छाया धुएं का काला गुबार|
तो चलिए जानते है घर में शंख रखने का महत्त्व व विधि:- (Dakshinavarti Shankh)
शंख का महत्व
हम सभी जानते है की हिंदू धर्म में शंख का अपना महत्वपूर्ण स्थान है. मान्यतों के अनुसार भगवान शिव को छोड़कर अन्य सभी देवी-देवताओं की पूजा में शंखनाद किया जाना शुभ होता है. कहा जाता है की समुद्र मंथन से ही शंख की प्राप्ति हुई थी. देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन में 14 रत्नों समेत शंख भी पाया गया था|
दक्षिणावर्ती शंख का महत्त्व
दुनिया में वैसे तो अनेकों प्रकार के शंख पाए जाते हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन सभी शंखों में सर्व श्रेष्ठ दक्षिणावर्ती शंख को माना गया है. हिंदू धार्मिक पुराणों के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख अत्यंत पुण्यप्रद माना जाता है.
दक्षिणावर्ती शंख को रखने की विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर रखना शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस जल का पूरे घर में छिड़काव करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. घर में नियमित पूजा में भी शंख को धूप दीप दिखाना चाहिए. मानता है की ऐसा करने से घर में सकारात्मकता आती है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. दक्षिणावर्ती शंख को लाल कपड़े के ऊपर रखना चाहिए. इसमें गंगाजल और कुश डालें और फिर किसी आसन में बैठकर ‘ऊं श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’ मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का कम से कम पांच माला जाप अवश्य करें. माना जाता है की ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और भक्त के घर में वास करतीं हैं.
कितने प्रकार के होते है दक्षिणावर्ती शंख
प्रमुख रूप से दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं. जिसमे एक नर्तक षणमुखी शंखऔर दूसरा मादा दक्षिण मुखी शंख होता है, दक्षिणावर्ती शंख उसे कहा जाता है जिसकी पदत मोटी और भारी होती है, उसे दक्षिणावर्त शंख कहते हैं. इसके अलावा, जो शंख पतला और हल्का होता है, उसे मादा दक्षिणावर्त शंख कहा जाता है. (Dakshinavarti Shankh)
ये भी पड़े – क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
धार्मिक मान्यतों के अनुसार दक्षिणावर्त शंख को माता लक्ष्मी की कृपा पाने और घर पर रखने के लिए बेहद शुभ माना गया है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है की जिस घर में भी दक्षिणावर्ती शंख को रखकर उसकी नियमित तौर पर पूजा की जाती है, वहां न केवल माता लक्ष्मी का वास होता है, बल्कि भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, उनकी भी कृपा व्यक्ति पर हमेशा बनी रहती है|
Disclaimer:
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’ NavTimes न्यूज़ लेख में बताये गए खबर की जिम्मेदारी नहीं लेता है/