शुक्रवार (16 जून) को 22वें विधि आयोग ने (Law Commission) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक की। इस बैठक के दौरान विधि आयोग ने संबंध बनाने के लिए सहमति की उम्र में बदलाव के लिए महिला एवं बाल विकास अधिकारियों से सुझाव मांगा।
पॉक्सो में 18 साल कम उम्र के युवाओं को माना जाता है नाबालिक
समाचार एजेंसी PTI ने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम का सालों से किशोर और किशोरियों के बीच सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों का निर्धारण करने में सहमति के कारण अक्सर टकराव हुआ है। आपको बता दें कि पॉक्सो में 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा या फिर नाबालिक माना जाता है। इसी मामले में कुछ जानकारियां देने के लिए बैठक की गई थी।
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जताई थी चिंता
इससे पहले दिसंबर 2022 में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने विधायिका से POCSO अधिनियम के तहत सहमति की उम्र के बारे में बढ़ती चिंता को ध्यान में रखने का आग्रह किया था, (Law Commission) जो कानून के दायरे में आने वाले पारस्परिक सहमति वाले ‘संबंधों’ के मामलों के संबंध में बढ़ती चिंताओं को रेखांकित करता है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने की थी अहम टिप्पणी
इसकी एक वजह है। नाबालिको के बीच प्रेमपूर्ण संबंधों के कारण होने वाले पॉक्सो मामलों में से लगभग 94 फीसद मामलों को आखिरकार बरी कर दिया गया है। पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पॉक्सो अधिनियम के पीछे का मकसद बच्चों को यौन शोषण से बचाना है और यह कभी भी युवा वयस्कों के बीच आपसी सहमति से संबंधों को आपराधिक बनाने के लिए नहीं था। दिल्ली कोर्ट ने यह टिप्पणी 17 वर्षीय युवती से शादी करने वाले एक युवक को जमानत देते हुए की थी। आपको बता दें कि उसने 17 वर्षीय लड़की से शादी की थी और 2012 में पॉक्सो अधिनियम के तहत उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
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जापान में बढ़ाई गई सहमति की उम्र
पिछले महीने, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इसी तरह के एक मामले में जमानत देते हुए कहा था कि पॉक्सो अधिनियम इसलिए लागू किया गया था कि किसी सहमति के संबंध में नाबालिको को दंडित नहीं किया जाए। आपको बता दें कि जापान में सहमति की उम्र शुक्रवार को 13 साल से बढ़ाकर 16 साल कर दी गई है, (Law Commission) जापानी सांसदों ने यौन अपराध कानून में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। देश में मानवाधिकार समूहों ने इसका स्वागत करते हुए इसे एक बड़ा कदम बताया है. हालांकि, अभी भारत में इस विषय पर चर्चा चल रही आज कल के हालत देख कर|