पंचकूला, 10 जून – जब किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान चोट (Life Line) लगती है तो उसकी सालों की मेहनत और कैरियर दांव पर लग जाता है। ऐसे खिलाड़ियों को अगर चंद सैकेंड में कोई ठीक कर दे और खेलने लायक बना दे तो वह किसी लाइफ लाइन से कम नहीं। कुछ ऐसी ही लाइफ लाइन का किरदार हरियाणा सरकार द्वारा खेलो इंडिया में लगाए गए 67 फिजियोथेरेपिस्ट निभा रहे हैं, जो चोटिल खिलाड़ियों को मैच के दौरान ही थेरेपी देकर उनकी मांसपेशियों को उस मैच के लिए खेलने लायक बना देते हैं। इन फिजियोथेरेपिस्ट ने अभी तक खेलो इंडिया में करीब 300 चोटिल खिलाड़ियों का फिजियोथेरिपी से इलाज किया है, जिसके बाद इन खिलाड़ियों ने अलग-अलग मैच खेले और अच्छा प्रदर्शन किया। ऐसे खिलाड़ियों ने खेल के बाद इन फिजियोथेरेपिस्ट और हरियाणा सरकार का धन्यवाद किया है।
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खेलो इंडिया में तैनात फिजियोथेरेपिस्ट हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य विभाग के विशेष (Life Line) सचिव श्री प्रभजोत सिंह की निगरानी में काम कर रहे हैं। ताऊ देवीलाल स्टेडियम में इन्हें फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. रजनी बतरा लीड कर रही हैं। डॉ.रजनी बताती हैं कि खेलो इंडिया में फिजियोथेरेपिस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जो भी खेल सीधे संपर्क के हैं जैसे कुश्ती, हॉकी, फुटबॉल, बॉक्सिंग, वालीबॉल, कबड्डी, इनमें खिलाड़ियों के चोटिल होने की संभावना ज्यादा रहती है। खेलो इंडिया के दौरान इन्हीं खेलों में सबसे ज्यादा खिलाड़ी चोटिल हुए हैं। मैच के दौरान खिलाड़ी को चोट लगने पर एक फिजियोथेरेपिस्ट कोशिश करता है कि चंद मिनट में उसे थेरेपी देकर उसकी मांसपेशियों को सेट कर दे। इससे खिलाड़ी वह मैच खेलने लायक हो जाता है। मैच के बाद उसे स्थाई इलाज दिया जाता है।
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कुश्ती में सबसे ज्यादा करीब 150 खिलाड़ी हुए चोटिल
डॉ. रजनी बतरा बताती हैं कि कुश्ती में सबसे ज्यादा करीब 150 खिलाड़ी चोटिल हुए। इन खिलाड़ियों की तत्काल फिजियोथेरिपी (Life Line) की गई और उन्होंने मैच भी खेला। इसके अतिरिक्त हॉकी, बॉक्सिंग, कबड्डी और वालीबॉल में भी खिलाड़ी चोटिल हुए। इन्हें भी थेरेपी दी गई। पहले तीन दिन में 100 से ज्यादा खिलाड़ियों को चोट लगी, जिन्हें थेरेपी दी गई। 10 खिलाड़ियों को गंभीर चोट लगी, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
बर्फ, कपिंग थेरेपी और अलग-अलग मसल्स थेरेपी से किया जा रहा इलाज
डॉ. रजनी बतरा बताती हैं कि चोटिल खिलाड़ियों का इलाज अलग-अलग थेरेपी से किया जा रहा है। इसके लिए हर दिन कई किलो बर्फ की क्यूब मंगाई जाती हैं, जिन्हें चोट लगने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, कपिंग थेरेपी, फर्स्ट ऐड किट और अलग-अलग मसल्स थेरेपी देकर खिलाड़ी को मैच खेलने लायक बनाया जाता है। प्रत्येक मैदान में कम से कम 3 और ज्यादा से ज्यादा 6 फिजियोथेरेपिस्ट की टीम तैनात की गई है। जहां तीन की टीम है, वहां उनमें एक पुरुष व एक महिला फिजियोथेरेपिस्ट और एक सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट तैनात है। इस टीम में कार्य कर रहे फिजियोथेरेपिस्ट को चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय, हरियाणा द्वारा भेजा गया है।
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पंजाब के खिलाड़ी का चोट लगने पर किया इलाज, फाइनल में किया गोल
पंजाब की हॉकी टीम के खिलाड़ी राजिंद्र सिंह ने खेलो इंडिया में तैनात हरियाणा की फिजियोथेरेपिस्ट की टीम का उस वक्त धन्यवाद किया जब उनकी वजह से वह मैच खेलने लायक हो पाया। पिछले मैच के दौरान राजिंद्र सिंह के हाथ और पैर में चोट लग गई थी। फिजियोथेरेपिस्ट ने उसे थेरेपी दी और जिसके बाद राजिंद्र ने मैच खेला और फाइनल मैच में फाइनल गोल किया। इसके बाद पंजाब ने हॉकी में स्वर्ण पदक जीता। इसी तरह, दिल्ली के खिलाड़ी ने भी सिल्वर जीतने के बाद हरियाणा सरकार का धन्यवाद किया। वह भी मैच के दौरान चोटिल हो गया था और थेरेपी मिलने के बाद मैच खेला और मेडल जीता।