Students – समावेशिता और करुणा के एक हृदयस्पर्शी इशारे में मंडी डबवाली के प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी वैद रामदयाल राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की समर्पित राजनीति विज्ञान की व्याख्याता डा. प्रियंका जोशी ने विद्यालय में चलाए जा रहे लीगल लिटरेसी क्लब की मासिक गतिविधि के अंतर्गत छात्रों को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के बारे में शिक्षित करने की पहल की। डा. जोशी के ज्ञानवर्धक सत्र का उद्देश्य युवा मन में हमारे समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। इंटरैक्टिव सत्र के दौरान डा. जोशी ने दिव्यांग लोगों के लिए सहानुभूति, समझ और समर्थन के महत्व के बारे में भावुकता से बात की।
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उन्होंने सभी के लिए अधिक समावेशी और सुलभ वातावरण बनाने के महत्व पर जोर दियाए भले ही उनकी शारीरिक या संज्ञानात्मक क्षमताएं कुछ भी हों। छात्रों को जरूरतमंदों की मदद करने और अपने समुदाय में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की वकालत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। डा. जोशी ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रमुख प्रावधानों के बारे में बहुत ही स्पष्ट रूप से बताया। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले व्यक्ति बेंचमार्क विकलांग की श्रेणी में माने जाते हैं और इस अधिनियम द्वारा विकलांगता के दायरे को और विस्तृत किया गया है। पहले जहां विकलांगता की 7 श्रेणियों को ही मान्यता मिली हुई थी, अब विकलांगता की 21 श्रेणियों को इस दायरे में शामिल किया गया है।
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इस अधिनियम द्वारा विकलांगों के लिए सरकारी नौकरियों में शिक्षण संस्थानों में शिक्षक 3 प्रतिशत से बढक़र 4 प्रतिशत किया गया है और सभी सार्वजनिक भवनों को किस प्रकार निर्मित करने का प्रावधान है कि दिव्यांगजनों कि वहां सरल पहुंच सुनिश्चित हो सके। इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र व राज्य स्तर पर दिव्यांगजनों के लिए आर्थिक कोष की स्थापना की गई है व उनके मामलों की सुनवाई के लिए अलग से न्यायालय की व्यवस्था भी की गई है। (Students)
इस व्याख्यान में उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 का उल्लंघन करता है तो उसे 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा या 10000 रुपए जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं और यदि कोई व्यक्ति किसी दिव्यांगजन को अपमानित महसूस करवाता है या उसका शारीरिक शोषण करता है तो इसके लिए 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही उन्होंने भारत और विश्व भर के सफल दिव्यांग लोगों के उदाहरण देते हुए छात्रों को यह समझाने का प्रयास किया कि दिव्यांग व्यक्ति किसी भी रूप में अन्य व्यक्तियों से काम नहीं है बल्कि वह सामान्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं। उन्होंने अरुणिमा सिन्हा, दीपा मलिक, सुधा चंद्रन, अजीत जोगी, एच प्रभु, रविंद्र जैन, देवेंद्र झांझडिय़ा, डा. सुरेश आडवाणी, स्टीफन हॉकिंग, अल्बर्ट आइंस्टीन, जॉर्ज वाशिंगटन एफ्रंैकलीन रुजवेल्ट व निक वुजीसिस जैसे सफल व्यक्तियों के उदाहरण देते हुए छात्रों को विस्तार पूर्वक समझाया।