नई दिल्ली: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन के साथ शारदीय नवरात्र का पांचवा दिन है। नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि स्कंदमाता की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि के साथ-साथ संतान प्राप्ति होती है। जानिए नवरात्र के पांचवें दिन कैसे करें स्कंदमाता की पूजा, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त, भोग और मंत्र।
नवरात्र की पंचमी तिथि का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आरंभ- सुबह 12 बजकर 10 मिनट से शुरू
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त- रात 10 बजकर 34 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
राहुकाल- सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक
कैसा है मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता की स्वरूप काफी प्यारा है। मां दुर्गा की स्वरूप स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिसमें दो हाथों में कमल लिए हैं, एक हाथ में कार्तिकेय बाल रूप में बैठे हुए हैं और एक अन्य हाथ में मां आशीर्वाद देते हुए नजर आ रही हैं। बता दें कि मां का वाहन सिंह है, लेकिन वह इस रूप में कमल में विराजमान है।
स्कंदमाता का पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद मां को फूल, माला चढ़ाएं। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, अक्षत आदि लगाएं। फिर एक पान में सुपारी, इलायची, बताशा और लौंग रखकर चढ़ा दें। इसके बाद मां स्कंदमाता को भोग में फल में केला और इसके अलावा मिठाई चढ़ा दें। इसके बाद जल अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में दुर्गा मां के साथ स्कंदमाता की आरती करें।
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