Mrs. Kamlesh Dhanda Participated As Chief Guest In PWD Vishram Graha, Sector 1: पंचकूला, 30 नवंबर- हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कमलेश ढांडा ने कहा कि कोई भी परिवार तब तक पूरा नहीं माना जाता, जब तक वहां बच्चे की किलकारी ना सुनाई दे। हर कोई चाहता है कि उनके घर में बच्चा जरूर हो, ताकि परिवार में खुशियां बनी रहें। श्रीमती ढांडा आज पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम ग्रह में अंतर्राष्ट्रीय दत्तक माह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर विभाग की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी कुमार, महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मोनिका मलिक, बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता, अंबाला की सीजेएम सुखदा प्रीतम भी उपस्थित थी। श्रीमती कमलेश ढांडा ने कहा कि बच्चे का सबसे अधिक विकास भी परिवार में ही होता है। उसे समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए सरकार, प्रशासन से अधिक महत्वपूर्ण भूमिका परिवार की ही होती है। उन्होंने कहा कि हम जिस समाज में रहते हैं, वहां दो जरूरी पहलू हैं, जिनका सामना हम अपने आसपास के दायरे में करते हैं। पहला ऐसा परिवार, जहां किसी कारण से बच्चा नहीं होता। दूसरा ऐसा बच्चा, जिसे किसी कारण से त्याग दिया जाता है और वह समाज की मुख्य धारा से कट जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चे को गोद देना और बच्चे को गोद लेना दोनों जिम्मेदारी के काम हैं। इन्हें अगर जिम्मेदारी के साथ न निभाया जाए, तो समाज, परिवार या बच्चे के सामने जो अडचन आती हैं, उसका खामियाजा पूरी व्यवस्था को उठाना पडता है। (PWD Vishram Graha)
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि एक-एक बच्चा, एक-एक परिवार देश व समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण कडी है। यदि हम सब मिलकर इन दोनों कडियों को जोडें तो देश भी मजबूत होगा और समाज भी। प्रधानमंत्री के इस विचार पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, हरियाणा सरकार व बच्चों से जुडी सभी एजेंसियां गंभीरता से अपना काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर्ष का विषय है कि हरियाणा ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हर संकल्प पर आगे बढकर काम किया है और अन्य राज्यों के सामने मिसाल पेश की है। इस साल दत्तक ग्रहण माह के लिए कानूनी दत्तक ग्रहण को बढावा देने के संकल्प को आगे बढाने पर जोर दिया। इसके पीछे सबसे बडी वजह बच्चों को गोद देने व बच्चों को गोद लेने की जटिल प्रक्रिया को देखकर कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करना है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कोरोना से प्रभावित बच्चों के कल्याण और हितों के लिए 29 मई 2021 को पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना शुरू की थी। (Mrs. Kamlesh Dhanda Participated As Chief Guest In PWD Vishram Graha, Sector 1) इन बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की चिंताओं का समाधान करते हुए आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया है। योजना के सभी पात्र बच्चों के नाम से डाकघर में मासिक आय योजना के तहत पैसे जमा करवाए गए हैं, जो 18 साल उम्र होने पर 10 लाख रूपए हो जाएगी। इसके अलावा बच्चों को 18 वर्ष की आयु के बाद से 23 वर्ष की आयु तक मासिक वजीफा दिया जाएगा। इन बच्चों को 23 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 10 लाख रुपये की राशि प्राप्त होगी। इस योजना के तहत हरियाणा के 94 बच्चों को लाभ हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा 16 जून 2021 को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू करते हुए कोरोना में अपने अभिभावक खो चुके बच्चों के अभिभावक की जिम्मेदारी उठाई गई है। राज्य के बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे बच्चों के अच्छी शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और स्वरोजगार की चिंता का समाधान करने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी ने हरिहर योजना शुरू की है। इसमें इन बच्चों की पढाई से लेकर विवाह व नौकरी तक की जिम्मेदारी सरकार द्वारा उठाई जाएगी। ऐसी ही कितनी योजनाएं हैं, जो बच्चों को हर तरीके से मजबूत करने के लिए केंद्र-प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे को गोद देने व लेने की प्रक्रिया में बीते आठ साल के दौरान सरलता लाने पर गंभीरता से काम किया गया है। इसके लिए देश में न केवल कानूनों में बदलावकिया गया है, बल्कि उन्हें मजबूती से लागू भी किया गया है। आज प्रदेश में 7 विशेष एजेंसियां बच्चों को गोद देने के लिए स्थापित की जा चुकी हैं, जो फरीदाबाद, पंचकुला, हिसार, कैथल, झज्जर व रेवाडी में स्थित हैं। इसके अलावा प्रदेश में 52 बाल देखरेख संस्थान चलाए जा रहे हैं, जिनमें 6 से 18 साल के जरूरतमंद बच्चों की देखभाल की जा रही है।
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इन संस्थानों के माध्यम से जीरो से 18 साल तक के अनाथ व बेसहारा बच्चों की जरूरत पूरी करवाने के साथ-साथ उन्हें अच्छे परिवार के साथ जोडने के जतन किए जाते हैं। हरियाणा में वर्ष 2014 तक देश के अंदर 33 बच्चों और देश के बाहर 8 बच्चों समेत कुल 41 बच्चों को गोद दिया गया था। इसके बाद आठ सालों में अब तक देश के अंदर 381 व देश के बाहर 87 बच्चों को गोद दिया जा चुका है। ऐसा केवल गोद देने व गोद लेने की प्रक्रिया में किए जा रहे सुधार की बदौलत हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पूरी प्रक्रिया को आनलाइन करने की ऐतिहासिक पहल की गई। इससे न केवल परिवारों को पहले आओ-पहले पाओ आधार पर बच्चा गोद लेने का अवसर मिला, बल्कि पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता भी आई।आज पोर्टल पर आवेदक माता-पिता अपने आवेदन का स्टेट्स देख सकता है। पहले रिश्तेदार द्वारा बच्चे को गोद लेने या देने को लेकर कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन वर्ष 2017 में इस संबंध में भी कानून में बदलाव किया गया। किसी बच्चे को गोद देने या लेने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद अदालत में पेटिशन दायर की जाती थी, जिसमें जज के सामने कार्य अधिकता के कारण कोर्ट आर्डर होने में देरी हो जाती थी। लेकिन इसी साल सितंबर से गोद प्रक्रिया के अंतिम आर्डर करने के लिए जिला उपायुक्त को शक्ति दे दी गई। इससे प्रक्रिया पूरी होने में बडी आसानी हुई। उन्होंने सभी भावी दत्तक माता-पिता से आहवान किया कि वे कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही बच्चा गोद लें, जिससे भविष्य में बच्चे और उनको किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। बच्चों का विकास हो और वह मजबूत बनकर हिंसा व भेदभाव मुक्त वातावरण में बराबरी का योगदान दे पाएं, इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में बडे कदम उठाए गए हैं। उन्होंने उनसे यह भी अपील की िकवे गोद लेने की वैध प्रक्रिया का पालन करने का संकल्प लें व गोद लेने की प्रक्रिया में लगने वाले समय के दौरान धैर्य व संयम बनाकर रखें। इस अवसर पर श्रीमती ढांडा ने बच्चों को गोद देने के संबंध में सारा (स्टेट एडॉप्शन रिसोर्स एजंसी), हरियाणा की ओर से जारी पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर एसीपी ममता सौदा, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं विभाग से डॉ. सीमा घई, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त निदेशक राजबाला कटारिया, कमलेश राणा, वरिष्ठ वकील रेनु भारद्वाज, अंजलि शर्मा, पुनीत कौर ग्रेवाल, प्रोमिला कंवर, अलग-अलग जिलों से आए अभिभावक तथा अधिकारी भी उपस्थित रहे। (Mrs. Kamlesh Dhanda Participated As Chief Guest In PWD Vishram Graha, Sector 1)