Music Director उज्जवल चौधरी का विशेष संवाद नव टाइम्स न्यूज़ के साथ
सबसे पहले तो आप हमें थोड़ा अपने बारे में बताएं आपका बचपन कैसा रहा आप क्या बनने का सपना रखते थे?
उज्जवल:- जैसा कि आप जानते हैं मेरा नाम उज्जवल चौधरी है और मैं कोलकाता का रहने वाला हूं बचपन जैसा एक आम बच्चे का होता है हंसता-खेलता वैसा ही मेरा भी रहा मैं अपने स्कूल के दिनों में अच्छी पढ़ाई करता था जिसके चलते मुझे आगे पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी मिला पढ़ाई के साथ-साथ में खेलकूद में भी आगे था में बॉक्सिंग में अच्छा था लेकिन संगीत से मेरा अलग ही प्रेम है मैं बचपन से ही तरह-तरह के संगीत वाद्य यंत्रों को बजाता तथा सीखता था और मैंने इतना सोच रखा था कि आगे चलकर मैं भले ही कुछ भी करूं लेकिन संगीत और खेल को हमेशा साथ रखूंगा।
आप ने अपने संगीत निर्देशक के करियर की शुरुआत कैसे करें?
उज्जवल:- हमारा एक बैंड हुआ करता था पहले हम कोलकाता में ‘लाइव शो’ वगैरा किया करते थे मैं ‘गिटार’ के साथ-साथ कई तरह के संगीत वाद्य यंत्र भी बचा लेता मैंने संगीत में ही आगे जाने का निर्णय किया फिर मुझे लगा कि जो पहचान मुझे मुंबई में मिल सकती है वह कोलकाता में नहीं जिसके बाद में मुंबई आ गए जहां मेरे कुछ बहुत अच्छे दोस्त बने जिन्होंने मुंबई में बसने में तथा आगे बढ़ने में मेरी बहुत मदद करी जहां मैं पहली बार मुंबई में किसी आयोजन में गया था वहां मुझे गाने और गिटार बजाने का मौका मिला जो वहां के लोगों को बहुत अच्छा लगा वहां से मुझे आगे लाइव शो करने के प्रस्ताव दिए गए जिसके बाद मुझे धीरे-धीरे संगीत की दुनिया में काम मिलने लगा और इस तरह मेरे करियर की शुरुआत हुई और आज मैं ‘शान’ ‘अलका याग्निक’ ‘अनूप जलोटा’ जैसे संगीत कलाकारों के साथ काम कर रहा हूं
एक संगीत निर्देशक (Music Director) का क्या-क्या काम होता है और आपको अपने काम में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
उज्जवल:- एक संगीत निर्देशक का काम मुख्यत: गाने-फिल्मों का दृश्य कि स्तिथि के हिसाब से संगीत का निर्माण करना या बनाना होता है अगर मैं आसान शब्दों में बोलूं तू बैकग्राउंड म्यूजिक को बनाना संगीत निर्देशक का काम होता है क्योंकि बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्मी दृश्य का (BackBone) यानी रीड की हड्डी की तरह होता है अगर बैकग्राउंड म्यूजिक नहीं होगा तो हमारी फिल्म 50% भी नहीं रहती और अगर मैं अपने काम के कठिनाइयों की बात करूं तो मेरा यह मानना है कि रचनात्मक कला या (Creative Art) का कोई समय नहीं होता कई बार हमारा प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार होता है लेकिन जब हम उसे सुनते हैं और अगर हमें उसमें जरा भी कमी नजर आती है तो वापस दोबारा से उस काम में जुट जाते हैं चाहे फिर हमारी पहले की मेहनत बेकार क्यों ना हो गई हो।
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आपको इंडस्ट्री में इतना समय हो गया है जिसमें अपने कई तरह के उतार-चढ़ाव तथा संघर्ष देखा तो आप अपने पुराने दिनों को कैसे याद करते हैं?
उज्जवल:- मैं अपने पुराने समय को बहुत धन्यवाद देता हूं क्योंकि जब मैं पुराने दिनों को याद करता हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है कि कैसे हम संगीत बनाने के लिए एक-एक रूपया जोड़ा करते थे, उस समय के लोग बहुत खर्चा करके भी इंडस्ट्री में आगे नहीं बढ़ पाए और हम लोग आगे बढ़ गए तो यह सब याद करके बहुत अच्छा लगता है साथ ही उस समय किस तरह लोकल ट्रेनों तथा बसों में गिटार लेकर मैं इधर से उधर घूमता था और आज ‘आशा भोसले’ ‘अनुराधा पौडवाल’ तथा ‘उदीत नारायण’ जैसे संगीत कलाकार मुझे मेरे नाम से जानते हैं तो बहुत गर्व महसूस होता है।
जो संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं उनको आप अपनी तरफ से क्या सुझाव देते हैं?
उज्जवल:- सबसे पहले तो मैं यही कहना चाहूंगा कि आपको धैर्य रखना होगा और समय के साथ-साथ चलना होगा तभी जीवन में कुछ हासिल कर पाएंगे क्योंकि अगर आप सच्चे दिल से आराधना करते हैं तो भगवान भी प्रकट हो सकते हैं उसी तरह आपको सच्चे मन से अपने काम को करते रहना चाहिए और साथ ही एक अच्छा इंसान बनना ताकि लोग आपको आपके काम से नहीं आपके नाम से जाने।
उज्जवल चौधरी को NHMA प्रोडक्शन कनाडा द्वारा निर्मित फिल्म “श्री… डांसिंग विद सीजन्स” के लिए सर्वश्रेष्ठ पृष्ठभूमि स्कोर के लिए सम्मानित किया जा चुका है .इस फिल्म को टोरंटो फिल्म फेस्टिवल, लंदन फिल्म फेस्टिवल और पेरिस फिल्म फेस्टिवल आदि में सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया था
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Music Director उज्जवल चौधरी द्वारा किए गए कुछ प्रोजेक्ट:-
कोनमन (हिंदी फीचर)
विकसी (हिंदी फीचर)
छोटे उस्ताद (हिंदी लघु)
आनंदी (हिंदी लघु)
अनकही कहानी (हिंदी वेब सीरीज)
मैं क्यों (अंग्रेजी फीचर, कनाडा)
Music Director ‘उज्जवल चौधरी’ के साथ विशेष साक्षात्कार हमारे संवाददाता ‘पिंटू राय’ द्वारा किया गया।