नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को जीवन बीमा पालिसी बेचने वाले बीमा एजेंट की भूमिका की पड़ताल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने इरडा से कहा है कि वह नए दिशा-निर्देश जारी करे और प्रस्ताव प्रपत्रों को संशोधित करे, ताकि ग्राहकों के ध्यान में यह स्पष्ट रूप से लाया जा सके कि मेडिकल टर्म्स की जानकारी नहीं देने पर बीमा दावा अस्वीकार हो जाएगा
डॉ. एसएम कांटीकर और सदस्य बिनाय कुमार की पीठ ने कहा कि इससे बीमित व्यक्ति को अनावश्यक मानसिक पीड़ा और खर्च से बचाया जा सकेगा। एनसीडीआरसी एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें जयपुर स्थित राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। आयोग ने कहा कि इस मामले में प्रस्ताव प्रपत्र (प्रपोजल फार्म) में तथ्यों को छिपाने से शिकायतकर्ता का मामला खराब हुआ है।
एनसीडीआरसी ने कहा कि अपील को अनुमति दी जाती है और राज्य आयोग के आदेश को रद किया जाता है। हम इरडा को जीवन बीमा पालिसी करते वक्त बीमा एजेंट के आचरण और जिम्मेदारियों पर नए दिशा-निर्देश जारी करने की भी सलाह देते हैं, ताकि वे प्रस्ताव फार्म भरते वक्त ग्राहक को सभी बीमारियों की जानकारी देने के लिए कहे और यह बताए कि ऐसा नहीं करने की स्थिति में उसके क्या परिणाम होंगे। प्रपोजल फार्म को भी इस आशय के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित किया जा सकता है।’
बीमा कंपनी ने दलील दी थी कि संबंधित व्यक्ति (मृतक) ने अपनी बीमारियों के बारे में भौतिक जानकारी छिपाकर जीवन बीमा पालिसी प्राप्त की। इन बीमारियों से वह 2008 से पीड़ित था। शिकायतकर्ता का आरोप था कि बीमा कंपनी के एजेंट ने प्रपोजल फार्म भरते समय उसे गुमराह किया और उसे भरोसे में लेकर (पूरा फार्म भरे बिना) खाली स्थान पर हस्ताक्षर करा लिए।