पंचकूला, 25 मार्च- अरुणा आसफ अली सरकारी पी जी महाविद्यालय, (Prevention of Drug Abuse) कालका की प्राचार्या कामना की अध्यक्षता में महाविद्यालय के काउंसलिंग सेल द्वारा मनोविज्ञान विभाग के सहयोग से हरियाणा सरकार द्वारा चलाए जा रहे धाकड़ कार्यक्रम के तहत “कॉलेज के छात्रों के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम” विषय पर एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया । व्याख्यान में मुख्य वक्ता डॉ. नवीन कुमार तथा डॉ मोंदीप धनकर रहे जो कि पी जी आई, चंडीगढ़ के ड्रग डी एडिक्शन एंड ट्रीटमेंट सेंटर, डिपार्टमेंट ऑफ़ साइकाइट्री में परामर्शदाता तथा डॉक्टर के रूप में कार्यरत हैं।
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वक्ताओं ने छात्र एवं छात्राओं को यह बताकर सत्र की शुरुआत की कि (Prevention of Drug Abuse) लत असल में होती क्या है और इसकी शुरुआत कैसे होती है। उन्होंने यह भी बताया कि लत किसी भी चीज की लग सकती है परन्तु ड्रग्स की लत सबसे आम तथा सबसे खतरनाक है क्योंकि ये अवैध ड्रग्स मस्तिष्क के रसायनों में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं जिस से मस्तिष्क इनका आदि हो जाता है तथा इनके बिना कार्य करने में असक्षम हो जाता है । छात्रों को नशीले पदार्थों की अवधारणा समझाने के पश्च्यात, उन्हें यह बताया गया कि मादक द्रव्य न सिर्फ हमारे शरीर पर बल्कि हमारे सामाजिक जीवन पर भी हानिकारक प्रभाव डालते हैं ।
डॉ नवीन तथा डॉ मनदीप ने छात्रों को बताया कि वे ड्रग्स और अल्कोहल से कैसे दूर रह सकते हैं और कैसे वे अपने आसपास के लोगों की मदद कर सकते हैं जो इस विनाशकारी लत के शिकार हो गए हैं। (Prevention of Drug Abuse) उन्होंने उन सरकारी एजेंसियों के संपर्क विवरण भी साझा किए जो नशा करने वालों को तत्काल सहायता प्रदान करते हैं और उन अस्पतालों के बारे में जानकारी मुहैया करवायी जो रोगियों को मुफ्त इलाज प्रदान करते हैं। अंत में उन्होंने सभी छात्र एवं छात्राओं से आग्रह किया कि वे नशे की लत से खुद भी दूर रहें तथा अपने आस पास वालों को भी इस से दूर रहने के लिए प्रेरित करें। वक्ताओं ने विद्यार्थियों को यह सलाह भी दी कि वे उन लोगों के साथ सहानुभूति रखें जो नशे के आदि हो गए हैं और उनका मज़ाक बनाने के बजाय नशा छोड़ने में उनकी सहायता करें।
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इस व्याख्यान में कॉलेज के 100 से अधिक छात्र एवं छात्राओं ने भाग लिया। (Prevention of Drug Abuse) इस व्याख्यान को सफल बनाने में काउंसलिंग सेल के सदस्य प्रोफेसर ईना आहूजा, प्रोफेसर नवनीत नैंसी, प्रोफेसर सविता तथा प्रोफेसर पूनम दहिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा वरिष्ठ प्रोफेसर सुशील कुमार ने भी इस व्याख्यान में अपना विशेष योगदान दिया।