इस्लामाबाद। वित्त मंत्री: तमाम राजनीतिक उथल-पुथल झेल चुका पाकिस्तान अब बेहद बुरे आर्थिक दौर से भी गुजर रहा है। बिजली, खाद्य पदार्थों के साथ ही तेल की कीमतें भी वहां आसमान छू रही हैं। पिछले दिनों देश में पेट्रोल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की गई थी। ऐसा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज हासिल करने के लिए किया गया था। क्योंकि कर्ज के लिए शर्त यह थी कि पाकिस्तान तेल सब्सिडी खत्म करे।
पाकिस्तान हो सकता है दिवालिया वित्त मंत्री ने दी चेतावनी
अब पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर पेट्रोलियम पदार्थों से सब्सिडी खत्म नहीं की गई तो उनका देश दिवालिया हो सकता है। पाकिस्तानी वित्तमंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि सरकार यदि पेट्रोलियम पदार्थों से छूट समाप्त नहीं करती तो देश दिवालिया हो जाएगा। श्रीलंका की मिसाल देते हुए मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि हमें समय रहते चेत जाने में भलाई है। ताकि आइएमएफ के साथ बेहतर रिश्ता कायम हो सके।
मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि सरकार अभी भी पेट्रोल पर 19 और डीजल पर 53 रुपये की छूट दे रही है। मिफ्ताह इस्माइल ने श्रीलंका का हवाला देते हुए कहा कि उसने अपनी जनता को छूट दी और आज उसके आर्थिक हालात दुनिया देख रही है।
सोमवार को जियो न्यूज के एक कार्यक्रम में कैपिटल टाक विषय पर बोलते हुए मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी पेट्रोलियम उत्पादों से छूट समाप्त करने की बात कह रहा है। मिफ्ताह इस्माइल ने जोर देते हुए कहा कि यदि पेट्रोलियम उत्पाद और बिजली के दाम नहीं बढ़ाए गए तो निस्संदेह देश दिवालिया हो जाएगा।
मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से दामों की बढ़ोत्तरी में मजबूत निर्णय लेने को कहा मगर वे पेट्रोलियम उत्पादों में बढ़ोत्तरी के लिए तैयार नहीं हैं। श्रीलंका की मिसाल देते हुए मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि ऐसी ही छूट देने के चलते आज वह महंगा तेल खरीद रहा है। आज श्रीलंका के पास दवाएं और जरुरी वस्तुओं की खरीद के लिए पूंजी नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तानी सरकार से है नाराज
आर्थिक स्थिरता के लिए और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मल्टी बिलियन डालर कार्यक्रम को दुबारा शुरू करने के लिए, सरकार ने पिछले ही महीने पेट्रोल कीमतों में प्रति लीटर 60 रुपये की बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी के बाद ये आसार थे कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा। परन्तु व्यक्तिगत आयकर के ठीक तरह से लागू नहीं होने के चलते बजट बिगड़ा हुआ है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान सरकार से खुश नहीं है।
हालांकि मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि पिछले सप्ताह ही जब पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता को सुधारने के लिए पेट्रोलियम कीमतों में बढ़ोतरी हुई तब वित्तीय आपात जैसे कोई हालात नहीं थे। इसके इतर यदि सरकार कीमतें नहीं बढ़ाती है तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।
मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि इमरान सरकार ने भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ सहमति के फैसले नहीं लिए थे। मगर हम लगातार कोशिश कर रहें हैं कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बेहतर रिश्ते कायम हों। मिफ्ताह इस्माइल का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बेहतर समझौते के बाद चीनी बैंक से ऋण की सुविधा मिल सकती है, जिससे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट सकती है।