उपायुक्त पार्थ गुप्ता (Partha Gupta) ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान में छात्र एवं छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न से संबंधित कोई घटना होती है तो उस विद्यार्थी को इस बारे अपने माता-पिता और अपने विश्वसनीय व्यक्ति को जरूर बताना चाहिए ताकि दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। उपायुक्त पार्थ गुप्ता बुधवार को स्थानीय राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सैकेंडरी स्कूल में वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से जिला के सभी शिक्षण संस्थानों के अध्यापकों व विद्यार्थियों से यौन शोषण व अनेक विषयों पर चर्चा कर रहे थे।
इस दौरान उपायुक्त ने जिला के आरोही मॉडल स्कूल जलालआना, आरोही मॉडल स्कूल ओढां, राजकीय कन्या वरिष्ठï माध्यमिक विद्यालय नाथूसरी कलां, राजकीय मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल बड़ागुढा, राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल बप्पां व राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल डबवाली के बच्चों से वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से बातचीत की। उपायुक्त ने कहा कि किसी भी बच्चे के साथ यौन शोषण जैसी घटना होती है तो दूसरे बच्चों को उसका मजाक उड़ाने की बजाय उसका साथ देना चाहिए क्योंकि अगर आप उसका मजाक उड़ाते हैं तो उस दोषी व्यक्ति का साथ दे रहे हैं।
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अध्यापकों को बच्चों के साथ माता-पिता जैसा व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि वे भी एक बच्चे के माता पिता हैं। किसी भी विद्यार्थी के साथ अक्सर गलत घटना घटती है तो उसे दबाने की बजाय, गुनहगार के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करवाई की जानी चाहिए ताकि दोषी व्यक्ति भविष्य में किसी बच्चे के साथ गलत काम न करें। उपायुक्त ने कहा कि अगर कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है या स्नेह की अनुभूति होती है तो यह गुड टच कहलाता है। ( Partha Gupta)
इसको आप अपनी मां, पिता, बड़ी बहन, दादी के टच से फील कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति आपको इस तरह से छूता है कि आप इससे असहज महसूस करते हैं या फिर उस व्यक्ति का छूना आपको बुरा लगता है तो उसे बैड टच कहा जाता है। यदि कोई बच्चा स्कूल में सुरक्षित महसूस नहीं करता है, तो वह इस बारे में अपने अभिभावकों को अवश्य बताए। इसके अलावा वह स्कूल में लगी शिकायत पेटी में भी अपनी शिकायत दे सकता है। उपायुक्त ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि जिला के सभी सरकारी स्कूलों में लड़कियों को सेल्फ डिफैंस सिखाने के लिए शैड्यूल तैयार किया जाए।
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उन्होंने कहा कि बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाना सबसे जरूरी है और बच्चों के मन से डर दूर करें और उन्हें ना कहना सिखाएं। अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो वे प्रताड़ित करने वाले से डरे नहीं बल्कि उन्हें ऐसा न करने के लिए बोलें। प्रताड़ित करने वाले से बचने के लिए तरकीब बच्चों को सिखाएं ताकि उनकी मदद की जा सके।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बुटा राम ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है कि हम किसी बंधन में न बंधे। बच्चों को स्कूलों में भय मुक्त वातावरण देने के लिए उठाए जाने वाले मुख्य विषयों पर चर्चा की। राइट टू एजुकेशन, भ्रूण हत्या, पीएनडीटी, पोक्सो एक्ट, यौन शोषण आदि के बारे में जागरूकता बेहद जरूरी है। (Partha Gupta)
बाल कल्याण समिति की चेयरपर्सन अनीता वर्मा ने कहा कि बच्चे सबसे ज्यादा समय अपने अभिभावकों व अध्यापकों के साथ व्यतीत करते हैं, ऐसे में उनकी बच्चों के प्रति अधिक जिम्मेवारी बनती है। विद्यार्थी देश के भावी निर्माता है, इसलिए इनके प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी डा. गुरप्रीत कौर ने कहा कि लड़कियों की सुरक्षा के साथ-साथ लड़कों के साथ होने वाले यौन शोषण भी बेहद चिंता का विषय है। माता-पिता को बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए। बच्चे अपनी शिकायत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या डायल 112 पर भी दर्ज करवा सकते हैं। (Partha Gupta)
अधिवक्ता बलबीर कौर गांधी ने कहा कि बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो उनके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है। अभिभावक व अध्यापक बच्चों के मन को पढने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करे। बच्चे को खुलकर इस बारे में बात कर बताएं कि आपको लिए यह अच्छा है और यह आपके लिए बुरा है। इस अवसर पर जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी सिकंदर, जिला परियोजना समन्वयक सही राम, संरक्षण अधिकारी डा. अंजना डूडी मौजूद रहे।