PhD Regulation – स्टूडेंट्स काऊंसिल फॉर एजुकेशनल रिफॉम्र्स की विश्वविद्यालय अध्यक्ष प्रीति ने आगामी सत्र-2023 में पीएचडी दाखिला प्रकिया में अपनाए जाने वाले आर्डिनेंस अथवा नियमावली में यूजीसी दिल्ली द्वारा जारी पीएचडी रेगुलेशन-2022 लागू करने के लिये चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति को शिक्षा मंत्री, उपमुख्यमंत्री के नाम ई-मेल के माध्यम से ज्ञापन भेजा है। जिसमें विशेषतौर पर विश्वविद्यालय में होने वाले पीएचडी दाखिले में विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले राजकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को निदेशक बनाने की मांग की गई है।
साथ ही कहा गया है कि बेटियों की मांग है की महाविद्यालयों में पीएचडी कोर्स शुरू किया जाए, ताकि शोध कार्य में दाखिला लेने से स्थानीय बेटियां वंचित ना रह सकें। स्टूडेंट्स काऊंसिल सिरसा की प्रधान प्रीति ने बताया कि विश्वविद्यालय सिरसा में कई विभागों में टीचिंग स्टाफ की भारी कमी के चलते सिरसा जिला व आस पास की बेटियों को उच्च शिक्षा (पीएचडी) के लिए या तो दूर-दराज के शहरों में धक्के खाने पड़ रहे हैं या फिर योग्य होते हुए भी उच्च शिक्षा (पीएचडी) से वंचित होना पड़ रहा है।
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प्रधान ने बताया कि इस मांग को लेकर करीब एक महीने पहले विश्वविद्यालय के कुलपति से मिल कर ज्ञापन दिया जा चुका है, परन्तु अभी तक किसी प्रकार की कोई सकारात्मक कार्यवाही नजर नहीं आयी है। एक तरफ सरकार बेटी बचाओ-बेटीपढ़ाओ का नारा देती है और दूसरी तरफ शिक्षण संस्थानों का ऐसा रुख बेटियों की शिक्षा में सहायक ऐसे नियमों को ना लागू कर उनके उच्च शिक्षा प्राप्त करने में रोड़े अटकाने का काम कर उनको पीएचडी करने से रोक रही है। (PhD Regulation)
प्रीती ने बताया कि यूजीसी दिल्ली द्वारा जारी पीएचडी अधिनियम-2022 अपनाकर दाखिला प्रकिया संपन्न करती है और राजकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों सुपरवाईजर बनाती है तो विश्वविद्यालय में पीएचडी की सीटों की संख्या में कई गुना इजाफा हो जाएगा और दाखिले की संभावनाएं बढ़ जाएगी और विशेष तौर सिरसा के आसपास की बेटियों को दूर-दराज के शहरों में भटकना नहीं पड़ेगा और बेटियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खुल जाएंगे। बता दें कि यह नियम आसपास के प्रदेशों के विश्वविद्यालयों में पूरी तरह से लागू हो चुका है और हरियाणा का सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक इसे पूरी तरह से अपना चुकी है।
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उन्होंने एडवोकेट के माध्यम से चेतावनी भी दी है कि अगर इस नियमावली को लागू नहीं किया गया तो उन्हें मजबूरन धरना-प्रदर्शन व कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी। प्रीति ने बताया कि अगर विश्वविद्यालय यूजीसी पीएचडी दाखिला नियम-2022 अपनाता है तो योग्य होते हुए भी उच्च शिक्षा (पीएचडी) के लिए सिरसा आस पास की बेटियों को दूर-दराज के प्रदेशों/शहरों में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। (PhD Regulation)
विश्वविद्यालय में शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा, जिसके चलते नैक की ग्रेड में सुधार होगा और एनआईआरएफ रैंक में भी उच्च स्थान हासिल होगा और छात्रों की प्लेसमेंट अच्छी और ज्यादा संख्या में होगी। यूजीसी दिल्ली व देश के अन्य संस्थानों द्वारा ग्रांट मिलने की संभावना बढ़ जायेगी। विश्वविद्यालय में वित्तीय आमदनी बढ़ेगी।