नई दिल्ली। कंजक प्रसाद: नवरात्र का त्योहार महाअष्टमी और नवमी पूजा के साथ समाप्त हो जाता है। नवरात्र के आठवे दिन, मां दुर्गा के आठवे स्वरूप महागौरी को पूजा जाता है। वहीं, 9वे दिन महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन दोनों तिथियों पर, लोग मां दुर्गा के इन दोनों अवतारों की पूजा करते हैं और छोटी बच्चियों को प्रसाद देते हैं, जिसे कंजक कहा जाता है।
इस दिन, जो लोग नवरात्र का व्रत रखते हैं, वे इसे छोटी बच्चियों को खाना खिलाकर तोड़ते हैं। पारंपरिक तौर पर इस दिन पूरी, सूजी के हल्वे और सूखे काले चने का भोग लगाया जाता है। इस साल, महाअष्टमी सोमवार यानी 3 अक्टूबर को मनाई जा रही है और महानवमी 4 अक्टूबर को है। तो आइए जानें इन दो दिनों के महत्व के बारे में।
पौराणिक मान्यता
देवी भागवत पुराण के अनुसार, यह माना जाता है कि इस दिन पूजा की जाने वाली युवा लड़कियां देवी दुर्गा के रूप होती हैं। यही कारण है कि 9 लड़कियों के साथ एक लड़के (जिसे लंगूर कहा जाता है) की पूजा की जाती है और भोजन दिया जाता है, जिसे कंजक पूजा या कन्या पूजन भी कहा जाता है।
कैसे की जाती है कंजक पूजा?
परंपरा के अनुसार, कंजक पूजा 2-10 साल की उम्र की छोटी लड़कियों के पैर धोने से शुरू होती है। इसके बाद, उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत (चावल) का तिलक लगाया जाता है और उनके हाथों में एक कलावा बांधा जाता है। उसके बाद, उन्हें नारियल से बना प्रसाद दिया जाता है, उसके बाद पूरी, हलवा और सुखा काला चना दिया जाता है। पूजा के अंत में, उन्हें धन, आभूषण, कपड़े, खिलौने आदि के रूप में उपहार भी दिए जाते हैं। अंत में, भक्त उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद मांगते हैं, और उनके जाने के बाद, भक्त बचे हुए भोजन से उपवास तोड़ते हैं।
कंजक प्रसाद के फायदे
पौराणिक कथाओं के विशेषज्ञों के अनुसार, सभी प्रसाद (पूरी, चना और हलवा) देसी घी में बनाए जाते हैं और स्वस्थ माने जाते हैं। पोषण के दृष्टिकोण से, चना और सूजी आहार फाइबर से भरपूर होते हैं और जिससे रक्त शर्करा का स्तर बेहतर होता है। वे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने और संतुलित करने में भी मदद करते हैं और इस तरह हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि काले चने में सैपोनिन भी होता है, जो शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकता है। इसमें सैलेनियम भी होता है, जो कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों को डिटॉक्सीफाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूसरी तरफ, सूजी दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है और वज़न कम करने में मददगार होता है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार, 7-8 दिनों तक सात्विक खाने का पालन करने के बाद पूरी, हलवा और चना शरीर को ज़रूरी पोषण देते हैं, जिससे पाचनक्रिया में संतुलन बना रहता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।