रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को घोषणा की है (Countries) कि इस प्राइस कैप में शामिल होने वाले देश को 1 फरवरी 2023 से रूस पांच महीने के लिए तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति बंद कर देगा. पुतिन के इस फैसले यूरोप को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है| जी-7 और यूरोपीय यूनियन ने 5 दिसंबर को रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाने की घोषणा की थी. प्राइस कैप लागू हो जाने के बाद कोई भी देश निर्धारित मूल्य से ज्यादा या कम कीमत पर रूस से तेल नहीं खरीद सकता है| यूरोपीय देशों की ओर से रूसी तेल पर प्राइस कैप की घोषणा के बाद से ही रूस की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा था. प्राइस कैप के जवाब में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को एक डिक्री पर हस्ताक्षर किया है. इस डिक्री के तहत प्राइस कैप में शामिल होने वाले देशों को पांच महीने के लिए तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति से बैन कर दिया जाएगा|
क्रेमलिन डिक्री के अनुसार, यह डिक्री 1 फरवरी 2023 से लेकर 1 जुलाई 2023 तक लागू रहेगा. प्राइस कैप में शामिल होने वाले देशों को कच्चे तेल के निर्यात पर 1 फरवरी से प्रतिबंध (Countries) लगा दिया जाएगा. वहीं तेल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा बाद में की जाएगी. संभवतः 1 फरवरी के बाद तेल उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा| डिक्री में राष्ट्रपति को विशेषाधिकार दिया गया है, जो पुतिन को विशेष मामलों में प्रतिबंध को खत्म करने की अनुमति देता है|
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5 दिसंबर से रूसी तेल पर प्राइस कैप
यूक्रेन में जारी रूसी सैन्य अभियान के कारण सात प्रमुख शक्तियों का समूह माने जाने वाला यूरोपीय यूनियन और आस्ट्रेलिया ने 5 दिसंबर से रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल (Countries) मूल्य कैप लगाने पर सहमत हुए थे. 5 दिसंबर से पश्चिमी शिपिंग और बीमा कंपनियों को प्राइस कैप से ऊपर बेचे जाने वाले रूसी तेल को बीमा करने से रोक दिया गया है. जिसके बाद से रूस को अपनी मर्जी के दामों पर तेल बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है|
भारत और रूस के बीच व्यापार उच्चतम स्तर पर
यूक्रेन युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है. जबकि दोनों देशों ने तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, गैस, कोयला और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में भी व्यापार सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है|
एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के आकड़ों के अनुसार, रूस लगातार (Countries) दूसरे महीने नवंबर में भी भारत को सबसे ज्यादा तेल निर्यात करने वाला देश बना रहा. इससे पहले इराक और सऊदी अरब भारत को सबसे ज्यादा तेल बेचता था|
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प्राइस कैप का क्या होगा असर
हालांकि, प्राइस कैप रूसी तेल की वर्तमान कीमत के लगभग बराबर ही है. (Countries) लेकिन पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से उबरने के लिए रूस इस साल सस्ते दामों में तेल बेचना चाहता था.
सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. प्राइस कैप से रूसी तेल के निर्यात में दिक्कतों के कारण वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है|