लखनऊ। राकेश टिकैत: किसानों के बड़े नेता स्वर्गीय महेन्द्र सिंह टिकैत की 11वीं पुण्य तिथि पर रविवार को लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन की बैठक में उनके परिवार को बड़ा झटका मिला है। किसानों का पार्टी में एक और फाड़ हो गया है।
लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन की महेन्द्र सिंह टिकैत की 11वीं पुण्य तिथि पर आयोजित बैठक में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का गठन किया गया है। इनका दावा है कि यह ही असली भारतीय किसान यूनियन है और हमने नरेश टिकैत को अध्यक्ष पद से हटाने के साथ ही राकेश टिकैत को प्रवक्ता पद से हटाने के साथ ही साथ फतेहपुर के राजेश सिंह चौहान को नया अध्यक्ष चुना है। भारतीय किसान यूनियन में अब बड़ा बवाल के साथ बगावत भी शुरू हो गई है।
स्वर्गीय महेन्द्र सिंह टिकैत की 11वीं पुण्य तिथि 15 मई को लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन की महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का गठन किया गया। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के पहले से ही कार्यरत होने पर नवगठित इकाई के अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने कहा कि वह लोग पंजीकृत नहीं हैं, जबकि हम लोग भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक को पंजीकृत करा चुके हैं।
भारतीय किसान यूनियन में एक और फाड़ होने से महेन्द्र सिंह टिकैत के बेटों को बड़ा झटका लगा है। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने प्रेस कान्फ्र ेंस में कहा कि राकेश टिकैत तथा नरेश टिकैत राजनीति से प्रेरित हैं। हम किसी राजनैतिक दल से नहीं जुड़ेंगे। हम महेन्द्र सिंह टिकैत के मार्ग पर चलने वाले है, हम अपने सिद्धांतों को विपरीत नहीं जाएंगे। राजेश सिंह चौहान ने कहा कि मैंने दोनों भाइयों को किसी भी राजनीतिक दलों से जुडऩे का विरोध किया था। हमने कहा था हम अराजनैतिक लोग हैं। हमारा काम किसान की समस्याओं पर लडऩा है। इस दौरान दोनों भाइयों ने हमसे किसी दल से जुडऩे के लिए कई बार कहा, लेकिन हम नहीं जुड़े। हम भी किसान आंदोलन में बराबर के हिस्सेदार रहे। मैंने राकेश तथा नरेश टिकैत के साथ हमेशा लड़ाई लड़ी है। अब भी सरकार नहीं सुनेगी तो हम किसानों की लड़ाई लड़ेंगे। हम तो स्वर्गीय महेन्द्र सिंह टिकैत को मिशन को आगे बढ़ाएंगे।
राजेश सिंह चौहान ने कहा कि हम अब नए सिरे से भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक तैयार करेंगे। देश के किसान नेता राकेश तथा नरेश टिकैत के हर कदम से बेहद नाराज हैं। हमने तो हर मंच पर किसानों की समस्याओं को उठाने का संकल्प लिया है। किसानों के हित की बात करने की जगह नरेश टिकैत तथा राकेश टिकैत कुछ चाटुकारों के बीच फंसे हैं।