कोलंबो। श्रीलंका में जारी संकट के बीच रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना गया। इसके लिए संसद के सदस्यों ने पिछले सप्ताह गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद खाली हुए पद को भरने के लिए गुप्त मतदान किया था। रानिल को इस चुनाव में कुल 134 वोट मिले हैं। दुल्लास अल्हाप्पेरुमा और अनुरा कुमारा को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
कौन हैं रानिल विक्रमसिंघे?
रानिल विक्रमसिंघे के पास श्रीलंका की राजनीति में लंबा अनुभव है। वो 6 बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वो यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के प्रमुख रहे हैं। 1977 में वे पहली बार सासंद बने थे और 1993 में पहली बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने थे। विक्रमसिंघे श्रीलंका के उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार सहित कई बड़े पदों का कार्यभार संभाल चुके हैं।
रानिल विक्रमसिंघे भारत के हैं करीबी
बता दें कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के विवादास्पद इस्तीफे के बाद खाली हुए पद पर रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बनाया गया था। तब उन्होंने जोर देकर कहा था कि उनके नेतृत्व में श्रीलंका के संबंध भारत के साथ और बेहतर होंगे। हालांकि, बिगड़ते हालात के बीच उन्हें इस पद से जल्द ही इस्तीफा देना पड़ा। प्रधानमंत्री के तौर पर वो भारत का चार बार दौरा कर चुके हैं। अक्टूबर 2016, अप्रैल 2017, नवंबर 2017 और अक्टूबर 2018 में वो भारत आए थे। उनके शासनकाल के दौरान ही पीएम मोदी ने भी दो बार श्रीलंका का दौरा किया था।
नए राष्ट्रपति के सामने होंगी कई बड़ी चुनौतियां
अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारना है। अनाज से लेकर दूध-दवा तक की कमी से श्रीलंका जूझ रहा है। यहां हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि लोग सड़कों पर विरोध करते नजर आ रहे हैं। सरकारी दफ्तरों पर कब्जा कर रहे हैं। ऐसे में नए राष्ट्रपति के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां हैं।