सिरसा।(सतीश बंसल) रानियां तहसील कार्यालय में जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों, रानियां को तहसील का दर्जा देने, खराब हुई फसलों का किसानों-मजदूरों को उचित मुआवजा देने, किसान आंदोलन के दौरान किए गए वायदों को पूरा न करने व किसानों और मजदूरों की पेंशन शुरू करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान मंच (Rashtriya Kisan Manch) द्वारा लगाया गया पक्का मोर्चा दूसरे दिन भी जारी रहा। पक्के मोर्चे का नेतृत्व मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष जिंदा नानूआना ने किया।
नानूआना ने कहा कि केंद्र व राज्य की सरकारें सत्त्ता के नशे में चूर होकर लगातार आमजन को त्राहि-त्राहि करने को मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की आन-बान-शान के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले पहलवानों के साथ जिस प्रकार का अमानवीय व्यवहार सरकार के इशारे पर किया गया है, वो बेहद शर्मसार करने वाला है। अपने एक सांसद के गिरेबां को बचाने के लिए सरकार कितने खिलाडिय़ों की जिंदगी को दांव पर लगा रही है। सरकार की कुनीतियों को देखकर भविष्य में कोई खिलाड़ी नहीं चाहेगा कि वो देश के लिए पदक जीते। इसके साथ-साथ बरसात व ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल का सरकार ने तुरंत मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक मुआवजा देना तो दूर, कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं की गई है, जोकि किसानों के साथ धोखा है।
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नानूआना ने कहा कि जब बीमा कंपनियां बीमे की राशि खाते से डायरेक्ट काट लेती है तो फिर मुआवजा देने में देरी क्यों? उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों व सरकार की सांठ-गांठ का खामियाजा मेहनतकश किसान को भुगतना पड़ रहा है। जनता सरकार की नीतियों से तंग आ चुकी है और अपने वोट की चोट से सबक सिखाने के लिए तत्पर है। इस मौके पर मंच के प्रदेशाध्यक्ष लक्खा सिंह अलीकां, सुरेंद्र हांडा, हैप्पी भिंडर, मनमोहन सिंह पाली, का. बूटा सिंह, राजेश नानूआना, जय वधवा, हैप्पी रानियां, सतनाम चंद, गोविंद, गुरप्रीत सिंह, रंजीत सिंह सहित अन्य किसान मौजूद थे। (Rashtriya Kisan Manch)