11 अप्रैल, बीते मंगलवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में कलेक्टर की जनसुनवाई (Greed) में अजीबो गरीब स्थिति पैदा हो गई. बेटे और पोती के साथ पहुंचे कलेक्टर के ऑफिस बुजुर्ग ने खुद को ‘जिंदा’ बताया. जहा बुज़ुर्ग ने खुलासा किया कि उसके परिजनों ने संपत्ति हड़पने के लालच में उसको ‘मुर्दा’ घोषित कर दिया था. मृत घोषित कर दिए गए बुजुर्ग ने खुद को जीवित साबित करने के लिए काफी ज्यादा समय और मसक्क्त करनी पड़ी. यही नहीं बुज़ुर्ग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने में भी पीछे नहीं हटा. गुहार को अनसुना होता देख आखिरकार कलेक्टर की जनसुनवाई में बुजुर्ग पहुंच गया. उसने बताया कि खुद को जीवित साबित करने के लिए आया हूँ|
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संपत्ति की लालच में रिश्तेदारों ने हड़पी जमीन
कलेक्टर से मिलकर बताया कि परिवार वालों ने 2006 में ही कागजों पर बुज़ुर्ग को मारकर जमीन हड़प ली है. साथ ही अधिकारियों की मिलीभगत से उन लोगो ने संपत्ति के गलत कागजात भी बनवा लिए थे. फरियादी बुजुर्ग के साथ पहुंची पोती नेहा योगी ने बताया कि वर्ष 2006 में (Greed) धोखाधड़ी कर दादा बद्रीनाथ योगी को सरकारी कागजों पर मृत घोषित कर दिया गया था. सांवेर थाना क्षेत्र के पोटलोद गांव में दादा की पुश्तैनी जमीन है. जमीन पर विवाद का मामला अदालत में भी चला. जिसके बाद अदालत का फैसल भी दादा के पक्ष में 2018 में सुनाया गया था|
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जनसुनवाई में बुजुर्ग ने कलेक्टर से मांगा अपना हक
परिवार ने फैसले पर नवंबर, 2022 में स्टे ले लिया. उसके बाद संपत्ति बंटवारे में 5 बीघा जमीन जोकि दादा के हिस्से में आई थी वह अब तक उन्हें नहीं मिली हैं. तहसीलदार की तरफ से दो बीघे का आदेश सुनाया गया है. मामले की शिकायत 181 पर कलेक्टर से की है. (Greed) यही नहीं परिजनों द्वारा पहले दादा की संपत्ति को हड़प लिया फिर दादा के हिस्से की बची जमीन भी बेच डाली. जनसुनवाई में SDM के पास जाने को बोला गया है. कलेक्टर ने SDM को मामले की जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. बुजुर्ग ने जमीन का हक दिए जाने की मांग की है. हालांकि, अभी इस मामले पर जांच जारी हैं कलेक्टर द्वारा पूरी कोशिश की जाएगी की वह बुज़ुर्ग को उनके हिस्से की संपत्ति वापस दिलवा सके|