नई दिल्ली। लगातार बढ़ती महंगाई (Inflation) के कारण रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने (RBI Repo Rate Hike) का ऐलान कर दिया है। अब रेपो रेट 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। अब रेपो रेट बढ़कर 5.40 फीसद हो गया है। मई में रेपो दर में अप्रत्याशित 40-बेसिस पॉइंट्स और जून में 50 आधार अंकों की वृद्धि के बाद RBI द्वारा की गई यह तीसरी वृद्धि है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से आपके होम और कार लोन जैसे अन्य कर्जों की ईएमआई बढ़ जाएगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में वृद्धि कर दी है। आरबीआई ने 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ रेपो रेट को 5.4 फीसद कर दिया है। उन्होंने कहा कि शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कोर महंगाई दर ऊंचे स्तर पर रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार जारी है। निवेश में तेजी देखने को मिल रही है। MPC ने अकोमोडेटिव स्टैंस वापस लेने पर जोर दिया है। आरबीआई ने कहा कि लगातार ज्यादा महंगाई ग्रोथ पर असर डाल सकती है। आरबीआई ने MSF 5.15% से बढ़कर 5.65% कर दिया है। गवर्नर के मुताबिक अप्रैल के मुकाबले महंगाई में कमी आई है।
करीब चार महीने के अंतराल में रेपो रेट में लगातार तीसरी बढ़ोतरी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने मौद्रिक नीति समिति की अगस्त में की बैठक के बाद आज रेपो रेट बढ़ाए जाने की जानकारी दी। मुद्रास्फीति लगभग एक दशक के उच्च स्तर पर चल रही है और रुपया डॉलर के मुकाबले निचले स्तर के आसपास कारोबार कर रहा है। दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों की बढोतरी को देखते हुए आरबीआई ने मई में दरें बढ़ाना शुरू किया था। रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की। भारत में खुदरा महंगाई दर जून में लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी टॉलरेंस बैंड से अधिक चल रही है। जून में खुदरा महंगाई 7.01 फीसद पर आ गई।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट (Repo Rate) वह रेट होता है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। इसका पूरा नाम रिप्रोडक्शन रेट (Reproduction Rate) है, लेकिन संक्षेप में इसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। यानी रेपो रेट कम हाेने से होम लोन (Home Loan), व्हीकल लोन (Vehicle loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) सभी सस्ते हो जाते हैं। लेकिन इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। इसी तरह इसके बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं।
क्या है एसएलआर
स्टेचुटरी लिक्विडिटी रेशियो (Statutory Liquidity Ratio) या एसएलआर (SLR) एक मौद्रिक टर्म है, जिसे सभी वाणिज्यिक बैंकों को पूरा करना होता है। इससे पता चलता है कि बैंक आम जनता या कारपोरेट जगत को लोन या क्रेडिट देने से पहले कैश (Cash), गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve), पीएसयू बांड्स (PSU Bonds) और सिक्योरिटी में कितनी राशि रखेंगे। इससे बाजार में कैश फ्लो पर नियंत्रण रखा जाता है। रिजर्व बैंक इसके जरिए भी बाजार में कैश मैनेजमेंट का काम करता है। अगर बाजार में नकदी कम होगी तो बैंक के पास लोन देने के लिए कम पैसे होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि लोन का रेट बढ़ जाएगा।