संयुक्त राष्ट्र संघ के धरोहर-ग्राम के रूप में पहचाने जाने वाले राजस्थान के जहोता गांव में सशक्तिकरण और उद्यमशीलता की एक उल्लेखनीय कहानी देखने को मिलती है। शाही पृष्ठभूमि के बीच समोद माता स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, रूढ़िवादी विचारों को तोड़ने और एक नए रास्ते पर चलने संकल्प के साथ ग्रामीण आजीविका की रुपरेखा को फिर से परिभाषित कर रही हैं। सामोद माता (Samod Mata) स्वयं सहायता समूह की शुरुआत जून 2022 में वेदांता की सामाजिक प्रभाव शाखा, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट नंद घर के परिवर्तनकारी विचारों से हुई।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य, नंद घर के नाम से जाने जाने वाले मॉडर्न और आधुनिक आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना है। प्रोजेक्ट टीम ने जहोता की महिलाओं की अप्रयुक्त क्षमताओं को पहचानने का काम किया। स्वावलंबन और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की दृष्टि से, नंद घर ने जल्द ही सशक्तिकरण के अपने सफर की शुरुआत भी कर दी
इन महिलाओं ने नंद घर द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप का हिस्सा बनने के बाद, मोमबत्ती बनाने की कला में उद्यम करके, अपने कौशल विकास और उद्यमिता के सफर को शुरू किया। नंद घर द्वारा इस पहल का मुख्य उद्देश्य उनके प्रयासों को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए फॉरवर्ड लिंकेज और हैंडहोल्डिंग सुनिश्चित करके उन्हें सहयोग प्रदान करना है। मोमबत्ती बनाने के जटिल शिल्प में सावधानीपूर्वक ट्रेनिंग प्राप्त कर के, ये महिलाएं परंपरा को इनोवेशन के साथ मिलाते हुए, जल्द ही सुगंधित और सजावटी मोमबत्तियों के कारीगर के रूप में उभरने लगीं हैं। (Samod Mata)
समूह के अंदर एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करते हुए, रजनी राठौर ने अपने प्रयासों से उनके गांव की सीमाओं को पार करते हुए, राष्ट्रीय मंचों तक अपनी पहुंच सुनिश्चित की है। इतना ही नहीं, नंद घर ने सामोद माता स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सुप्रसिद्ध जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल और दिल्ली हाट में आयोजित वेदांता कल्चर फेस्टिवल में भी दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच प्रदान किया गया। कैंडल बनाने के लाइव वर्कशॉप के जरिये, उन्होंने दर्शकों को न केवल मंत्रमुग्ध करने का काम किया बल्कि अपनी कृतियों के बारे में जरुरी जानकारी शेयर करते हुए, आवश्यक बिक्री भी हासिल की।
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जहोता से जयपुर और दिल्ली का सफर सिर्फ किसी भौगोलिक बदलाव से कहीं अधिक दर्शाता है, जिसे हम विपरीत परिस्थितियों में दृढ़ संकल्प की जीत के प्रतीक के रूप में भी देख सकते हैं। नंद घर के समर्थन से और उनकी सामूहिक दृष्टि से प्रेरित होकर, सामोद माता स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने सामाजिक मानदंडों को सिरे से नकारने का काम किया है। उन्होंने रूढ़ियों को तोड़ते हुए यह साबित किया है कि ग्रामीण महिलाएं भी अपने भाग्य की निर्माताएँ होती हैं। (Samod Mata)
इस अद्भुत सफर को याद करते हुए, रजनी राठौर कहती हैं कि, “नंद घर हमारे लिए एक मार्गदर्शक की तरह रहा है, जिसने हमारे भीतर उद्यमशीलता की सोच को विकसित किया है। उनके समर्थन से हमने अनजाने क्षेत्रों में कदम उठाया है और अपने सपनों को साकार किया है।” आज, रजनी राठौर उन हजारों महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्हें आफ द्वारा नंद घर के माध्यम से ट्रेनिंग, ऋण तक पहुंच और सहायता सेवाएं प्राप्त हुई हैं, जिससे उद्यमशीलता और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला है। नंद घर में, ग्रामीण परिदृश्य और स्थानीय अर्थव्यवस्था के आधार पर, लोकल व्यवसायों का चुनाव किया जाता है।
एक निश्चित अवधि के अंतर्गत प्रत्येक बैच में 30 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है। ट्रेनिंग के बाद, महिलाओं को रोजगार मिलता है और आवश्यकतानुसार उन्हें बिज़नेस प्लान बनाने में मदद भी की जाती है। स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की नई भावना के साथ, ये महिलाएं एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रही हैं जहां वे अपने कौशल को आगे बढ़ाना जारी रख सकें और अपने परिवार की भलाई में अधिक योगदान दे सकें। (Samod Mata)
जहां आज भी दुनिया में लैंगिक समानता एक जटिल समस्या बनी हुई है, वहीं रजनी राठौर की कहानी हमें याद दिलाती है कि दृढ़ता और उचित समर्थन के साथ, महिलाएं बाधाओं को तोड़ सकती हैं, उम्मीदों को चुनौती दे सकती हैं और अपनी सफलता की राह खुद बना सकती हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, आइए हम दुनिया की अन्य तमाम रजनी राठौरों के लिए खुशियां मनाएं और सभी के लिए एक समावेशी तथा समान अधिकारों वाला समाज बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करें।