नई दिल्ली: कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सेवा विस्तार नहीं दिया गया। राष्ट्रपति भवन के अनुसार, उनका कार्यकाल तीन अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बीडी मिश्रा को मेघालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। (Satya Pal Malik)
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे हैं सत्यपाल मलिक
केंद्र सरकार ने जिस समय अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था, उस समय मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। 2017 में उनको बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 2018 में उनका स्थानांतरण जम्मू और कश्मीर कर दिया गया। 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा लेकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, तो मलिक का स्थानांतरण पहले गोवा और आखिर में मेघालय कर दिया गया।
करीब नौ वर्षों तक रहे राज्यसभा सदस्य
उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले मलिक 1980-89 तक राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान अपने बयानों के चलते सत्यपाल मलिक लगातार खबरों में बने रहे। उन्होंने उस समय सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ टिप्पणियां की थीं। एक बार उन्होंने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए उनके पास दो फाइलें आई थीं। देश के एक प्रमुख व्यापारिक घराने और एक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि द्वारा उनके सामने भारी रिश्वत की पेशकश की गई थी। इस सिलसिले में सीबीआइ ने दो मामले दर्ज किए थे। (Satya Pal Malik)