(Asteroid Ryugu) क्षुद्रग्रहों में वैज्ञानिकों की बहुत रुचि रही है। जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड के निर्माण पर प्रकाश डालने के लिए, शोधकर्ता वर्ष 2020 में क्षुद्रग्रह रयुगु से पृथ्वी पर लाई गई सामग्री की जांच कर रहे हैं। एक जापानी अंतरिक्ष जांच, ‘हायाबुसा -2’ ने रयुगु क्षुद्रग्रह से नमूने एकत्र किए। वैज्ञानिकों को इन नमूनों में धूल के छोटे-छोटे कण मिले हैं। यह अनुमान लगाया जाता है कि यह हमारे सूर्य के गठन से पहले का है। इन महीन कणों में हीरे सहित प्रीसोलर सामग्री की उपस्थिति होती है। क्षुद्रग्रहों में ऐसे कण पहले ही मिल चुके हैं। उनमें से कुछ क्षुद्रग्रह 1970 के दशक के अंत में पृथ्वी पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे।
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ऐसे में यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिकों को ऐसी सामग्री मिली है। Asteroid Ryugu के नमूने हमारे सौर मंडल के निर्माण के समय के निर्माण खंडों में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। नमूने की खोज करने और इसे पेपर में प्रकाशित करने वाले प्रमुख लेखकों में से एक, जेन्स बारोश ने कहा कि विभिन्न प्रकार के प्रेसोलर विभिन्न प्रकार के सितारों और तारकीय प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। प्रयोगशाला में उनकी पहचान करने और उनका अध्ययन करने का यह अवसर हमें उन खगोलीय घटनाओं को समझने में मदद कर सकता है जो हमारे सौर मंडल के साथ-साथ अन्य ब्रह्मांडीय वस्तुओं को भी आकार देती हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने रयुगु नमूनों में पहले से ज्ञात सभी प्रकार के प्रेसोलर कणों का पता लगाया है। इनमें सिलिकेट भी शामिल हैं जो क्षुद्रग्रह के मूल शरीर में होने वाली प्रक्रियाओं के माध्यम से रासायनिक रूप से टूट जाते हैं।
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अध्ययन के एक अन्य प्रमुख लेखक लैरी निटलर ने कहा कि रयुगु नमूनों में हमें मिले प्रीसोलर कणों की संरचना वही है जो पहले अध्ययन किए गए नमूनों में पाई गई थी। यह हमारे लिए सौर मंडल की रचनात्मक प्रक्रियाओं की पूरी तस्वीर प्रस्तुत करता है। ये निष्कर्ष द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुए हैं। एक अन्य शोध में वैज्ञानिकों ने पूर्व में कहा था कि हो सकता है कि हमारे सौरमंडल के बाहरी किनारों से क्षुद्रग्रहों द्वारा पानी पृथ्वी पर लाया गया हो। ये वैज्ञानिक भी रयुगु क्षुद्रग्रह के नमूनों का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। हायाबुसा-2 मिशन की बात करें तो इसे साल 2014 में करीब 30 करोड़ किलोमीटर दूर ‘रयुगु’ एस्टेरॉयड की तरफ लॉन्च किया गया था। यह दो साल पहले ही पृथ्वी की कक्षा में लौटा था।