लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों के करीब दो महीने बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। पिछले दिनों प्रवक्ता बनाने के बाद अब उन्होंने फ्रंटल संगठनों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शुक्रवार को उन्होंने नौ फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा कर दी।
प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने एक दिन पहले कहा था कि हम वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, जल्द नए प्रकोष्ठ और संगठन के पदाधिकारियों का ऐलान करेंगे। इसके आधार पर ही पहले चरण में नौ फ्रंटल संगठन के अध्यक्षों की घोषणा शुक्रवार को की गई है।
प्रसपा के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव की ओर से जारी आदेश में आशुतोष त्रिपाठी को युवजन सभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। नितिन कोहली को यूथ ब्रिगेड का प्रदेश अध्यक्ष व दिनेश यादव को छात्र सभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। मो. आलिम खान को लोहिया वाहिनी, अनिल वर्मा को पिछड़ा वर्ग व शम्मी वोहरा को महिला सभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। इसी प्रकार संगीता यादव सांस्कृतिक प्रकोष्ठ, अजीत चौहान अधिवक्ता सभा व रवि यादव शिक्षक सभा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं।
सपा चीफ अखिलेश यादव से नाराज होकर शिवपाल यादव ने वर्ष 2018 में नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन किया था। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में उन्होंने अखिलेश यादव के साथ आने का ऐलान कर दिया। शिवपाल यादव सपा के टिकट पर जसवंतनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े थे। चुनाव के बाद दोनों के रिश्तों के बीच दरार आ गई। दोनों लगातार एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी करते नजर आए।
यूपी विधानसभा चुनाव रिजल्ट के बाद चर्चा शुरू हो गई कि शिवपाल यादव भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। शिवपाल यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। हालांकि, फिर बाद में यह मामला ठंडा पड़ गया। शिवपाल यादव के भाजपा में शामिल होने की खबरों के बीच अखिलेश ने भी उन पर खूब निशाना साधा। अखिलेश ने कहा था कि शिवपाल विपक्षी पार्टी के संपर्क में हैं।
अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए शिवपाल यादव ने कहा था कि हमारे नेता (अखिलेश यादव) को यह लगता है कि मैं उनके (बीजेपी) साथ नहीं हूं तो मुझे तुरंत पार्टी से निकाल दें। इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि चाचा शिवपाल सह यादव समाजवादी पार्टी के सदस्य नहीं हैं।