प्रतापगढ़ के समीप डेरा बाबा अलखिया में 4 दिसंबर से श्री राम कथा (Shri Ram Katha) का आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचक करनोली वाले राहुल शास्त्री कथा वाचन कर रहे है। राहुल शास्त्री ने बुधवार को श्रद्धालुओं को नारद मोह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि नारद ने तपस्या करके काम व क्रोध पर विजय पा ली। नारद अपनी बड़ाई करने को लेकर भगवान शिव के पास गए और शिव को काम-क्रोध पर विजय की बात अहंकारवश कही।
भगवान शिव ने कहा नारद ये बात मुझे तो बता दी है लेकिन और किसी से मत कहना। नारद जी नहीं माने और यही बात ब्रह्मा जी को बता दी। ब्रह्मा जी ने नारद से यह बात और किसी को नहीं बताने को कहा। लेकिन नारद जी अहंकार के वशीभूत होकर यही बात भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने नारद का अहंकार दूर करने के लिए एक मायानगरी बनाई, जिसमें सुंदर सुंदर स्त्री-पुरुषों की रचना की।
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नारद जी नगर देखा तो वहां चले गए। माया नगरी के राजा ने अपनी पुत्री का स्वयंवर रखा हुआ था। राजा ने नारद जी को अपनी पुत्री का भविष्य देखने को कहा। नारद जी जैसे ही कन्या को देखा वे उस पर मोहित हो गए। नारद जी भगवान विष्णु के पास उनका स्वरुप मांगने चले गए। विष्णु से कहा कि जिसमें मेरा कल्याण हो वैसा मुझे आशीर्वाद दें। भगवान विष्णु ने नारद को कुरुप बंदर का विशालकाय शरीर वाला बना दिया। (Shri Ram Katha)
जब स्वयंवर सभा में उस सुंदरी ने नारद जी को नही चुना ते भगवान विष्णु स्वयं खड़े हो गए और वरमाला पहन ली। भगवान के दूतों ने नारद जी का उपहास उड़ाया। गुस्से में नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि आपने भवान होकर नर का शरीर धारण किया, इसलिए विष्णु को नर होने का श्राप दिया।
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कहा कि जैसे मैं स्त्री विरह में तडफ़ रहा हूं वैसे आप भी तडफ़ोगे। जब घोर संकट आएगा तो यही बंदर आपकी सहायता करेंगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने माया को हटा दिया। इससे यही सीख मिलती है कि मनुष्य को कभी भी अहंकार नही करना चाहिए। (Shri Ram Katha)
शास्त्री ने कथा के दौरान उपस्थितजनों को नशे के खिलाफ जागरुक करते हुए कहा कि मनुष्य को नशे से सदैव दूर रहाना चाहिए। मनुष्य को जो यह मनुष्य रुपी जीवन मिला है इसका सदुपयोग करे और भगवान के भजन करे। दूसरों की सहायता करे। डेरा के सेवादार ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से चार बजे तक 12 दिसंबर तक होगी। कथा के समापन पर 13 दिसंबर को डेरा परिसर में हवन यज्ञ व भंडारे का आयोजन किया जाएगा।