सिरसा। (सतीश बंसल) विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ गांधीनगर, ईशीपुर, जिला भागलपुर (बिहार) की अकादमिक परिषद की अनुशंसा पर शहर के वरिष्ठ साहित्यकार डा. ज्ञानप्रकाश पीयूष को उनकी सुदीर्ध हिंदी सेवा, सारस्वत साधना, कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों, शैक्षिक प्रदेयों, महनीय शोध कार्य तथा राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार विद्यासागर सारस्वत सम्मान से अलंकृत किया गया। (Litterateur)
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डा. ज्ञानप्रकाश पीयूष राजस्थान शिक्षा सेवा प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत्त हैं। वर्तमान में ये साहित्य-लेखन कार्य में पूर्णरूप से समर्पित हैं। कविता, लघुकविता, बाल कविता, लंबी कविता, लघुकथा, दोहा, समीक्षा, आलेख एवं हाइकु आदि साहित्य की विभिन्न विधाओं में ये अनवरत रूप से सृजनरत हैं। अब तक इनकी 13 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें पांच कविता संग्रह, एक दोहा संग्रह, एक बाल कविता-संग्रह, एक लघुकथा संग्रह, तीन समीक्षात्मक व दो संपादित कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। हाइकु-संग्रह बोध में जीना इनकी 14वीं पुस्तक प्रकाशनाधीन है, जो शीघ्र प्रकाशित होकर आने वाली है।
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इनके अतिरिक्त राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार-प्रसार स्वर्ण जयंती प्रकाशन एवं राजस्थान शिक्षा विभाग शिक्षक दिवस प्रकाशन सहित ये 21 काव्य संकलनों में सहभागिता कर चुके हैं। अर्चना के उजाले प्रथम काव्य कृति पर इन्हें सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली से, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पुरस्कार और विश्व हिंदी रचनाकार मंच, भोपाल द्वारा नीरज साहित्य रत्न सम्मान तथा पीयूष सतसई, दोहा संग्रह कृति पर कादंबरी साहित्यिक संस्था, जबलपुर (मध्य प्रदेश) से ये सम्मानित हो चुके हैं। पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी शिलांग (मेघालय) द्वारा डॉक्टर महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान व भिवानी, चरखी दादरी, जींद, कैथल, हिसार आदि विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से ये साहित्यिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान पर सम्मानित हो चुके हैं। (Litterateur)