सिरसा।(सतीश बंसल )किसान आंदोलन की आगामी रणनीति (Nationwide Movement) बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनैतिक) की राष्ट्रीय बैठक लखविंदर सिंह औलख, कुर्बुरू शांता कुमार व सुखजीत सिंह की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित हुई। इस बैठक में खेती-किसानी की 8 मांगों पर किसानों को जागरूक करने के लिए आगामी 3 महीने में देशभर में 20 महापंचायत करने का निर्णय लिया गया। इन महापंचायतों के आयोजन के बाद 26 फरवरी 2024 को दिल्ली कूच का कार्यक्रम तय किया गया है, जिसके तहत देशभर से लाखों किसान अपनी मांगों पर दिल्ली पहुंचेंगे।
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बैठक में सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पास कर के कहा कि केंद्र व दिल्ली सरकार दिल्ली में प्रदूषण के लिए जानबूझकर किसानों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जो सरासर गलत है। किसान नेताओं ने कहा कि धान की 1509ए पीआर वैरायटी की कटाई तो सितम्बर के आखिरी सप्ताह में शुरू हो जाती है, लेकिन अक्टूबर माह में तो प्रदूषण नहीं बढ़ता। त्यौहारों का सीजन आने के बाद ही दिल्ली में यह प्रदूषण क्यों बढ़ता है। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि 2019 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जो किसान पराली न जलाए उनको राज्य सरकारों द्वारा धान पर 100 रुपये क्विंटल बोनस दिया जाए, लेकिन अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने बोनस नहीं दिया। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि पराली का उचित प्रबन्धन करने के लिए सरकार एवं प्रशासन द्वारा पर्याप्त मात्रा में सुपर सीडर व बेलर मशीनों की व्यवस्था नहीं की जा रही है। (Nationwide Movement)
अलवर में भाजपा नेता संदीप दायमा द्वारा यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में गुरुद्वारों व मस्जिदों के खिलाफ दिए गए बयान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी मीटिंग में पास किया गया एवं संदीप दायमा के खिलाफ मामला दर्ज कर के जेल भेजने की मांग की गयी। बैठक में मुख्य तौर पर पंजाब से जगजीत सिंह डल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, इंदरजीत सिंह कोठबुढा, सुखजिंदर सिंह खोसा, गुरिंदर भंगू, सुखजीत सिंह, शिव कुमार कक्काजी (मध्यप्रदेश), जुर्बुरु शांताकुमार (कर्नाटक), के वी बीजू (केरल), हरियाणा से अभिमन्यु कोहाड़, जरनैल सिंह चहल, गुरदास सिंह, आत्माराम झोरड़, शंकर दरेकर (महाराष्ट्र), जेके पटेल (गुजरात), विमल शर्मा (बुन्देलखण्ड), अरुण कुमार (बिहार), सचिन महापात्रा (उड़ीसा) इंदरजीत सिंह पन्नीवाला (राजस्थान) आदि उपस्थित रहे। (Nationwide Movement)
ये ह किसानों की 8 प्रमुख मांगें:सी2+50 फॉर्मूले के अनुसार फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए। देश के सभी किसानों को सम्पूर्ण कर्ज.मुक्त किया जाए। जिन भाजपा शासित राज्यों में 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव कर के नए कॉर्पोरेट-हितैषी नियम जबरदस्ती किसानों पर थोपे गए हैं, वे सभी नियम वापस लिए जाएं और पुन: भूमि अधिग्रहण के समय किसानों की 70 प्रतिशत लिखित सहमति व कलेक्टर रेट से 4 गुणा मुआवज़ा के प्रावधान लागू किये जायें। सभी मुक्त व्यापार समझौते रदद् किये जायें एवं आगे इनके हस्ताक्षर पर रोक लगाई जाए, भारत सरकार डब्ल्यूटीओ से बाहर आने का फैसला लें। बिजली का निजीकरण बन्द किया जाए। 2020-21 के किसान आंदोलन की लम्बित मांगों को पूरा किया जाए, 22 अगस्त 2022 को भी दिल्ली में बड़ी रैली का आयोजन कर किसानों ने सरकार को मांगपत्र सौंपा था, लेकिन सरकार उन मांगों को पूरा करने की बजाय उनके विपरीत कार्य कर रही है। शारदा-यमुना लिंक का निर्माण कर के 7 राज्यों के किसानों को सिंचाई के लिए नहरी पानी की व्यवस्था की जाए, इस प्रोजेक्ट के लिए नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाए। 60 वर्ष से ऊपर के किसानों को पेंशन दी जाए। (Nationwide Movement)