नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के बड़वानी में कोतवाली थाना पुलिस ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर और 11 अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। उनके एनजीओ द्वारा आदिवासी बच्चों की शिक्षा तथा अन्य सामाजिक कार्यों के नाम पर 13.5 करोड़ रपये से अधिक की राशि जमा कर राजनीतिक गतिविधियों और विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में दुरुपयोग करने के आरोप लगाए गए हैं।
पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि मेधा पाटकर के साथ अन्य न्यासियों के खिलाफ उनकी संस्था नर्मदा नवनिर्माण अभियान के जरिए वर्ष 2007 से 2022 के बीच राशि के दुरुपयोग का आरोप है। विवेचना में धाराएं और आरोपित बढ़ सकते हैं। एफआइआर में बताया गया है कि लगभग 14 वर्षों में जिस समय न्यासियों ने लगभग 13 करोड़ 52 लाख 59 हजार 304 रुपयों की राशि जमा की एवं उतनी ही राशि खर्च की, परंतु न तो धन का स्रोत और न ही इसके लिए किए गए व्यय का स्पष्ट खुलासा किया है। वर्ष 2020 से 2022 के दौरान भी जब पूरी दुनिया कोरोना काल में महामारी थी, उक्त न्यास सीएसआर नीति से मझगांव डक लिमिटेड से प्राप्त 65 लाख रपये से अधिक राशि खर्च करने में कामयाब रहा। इसका हिसाब भी दर्ज नहीं है।
पूरे दस्तावेज व आडिट उपलब्ध: पाटकर
मेधा पाटकर ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि फिलहाल उन्हें इस तरह के प्रकरण दर्ज होने की सूचना नहीं है। हमारे पास आय व व्यय संबंधित दस्तावेज, आडिट उपलब्ध हैं। शिकायतकर्ता आरएसएस और अभाविप से जुड़े हैं। उधर, शिकायतकर्ता प्रीतम राज का कहना है कि वह आरएसएस तथा अभाविप से अवश्य जुड़ा है, लेकिन प्रकरण से इसका कोई संबंध नहीं है।