वंदे भारत ट्रेनों का नया वर्जन आने वाला है। इसमें सोकर यात्रा की (New version of Vande Bharat) जा सकेगी। पहले वर्जन की तुलना में ये ट्रेनें ज्यादा सुविधाओं से लैस होंगी। रफ्तार तेज होगी और खतरे कम होंगे। ऐसी दो सौ ट्रेनों की बोगियों के निर्माण के लिए पांच कंपनियों ने रुचि दिखाई है। रेल मंत्रालय ने मंगलवार को संबंधित निविदाएं खोली है। इन ट्रेनों के निर्माण पर रेलवे 26 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगा।
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3 वर्षों में नए वर्जन की 400 वंदे भारत ट्रेनों को चलाने की योजना
प्रत्येक ट्रेन की लागत 130 करोड़ होगी। पुरानी वर्जन की लागत की तुलना में यह 30 करोड़ रुपये अधिक होगा। नए वर्जन के लिए जिन पांच कंपनियों ने रुचि ली है, उनमें भेल (BHEL), एल्सटाम इंडिया (Alstom India), सीमेंस (Siemens), आरवीएनएल (RVNL) और मेधा (Medha) शामिल हैं। इनके प्रस्तावों पर रेलवे मंत्रालय को अंतिम निर्णय लेना है। वंदे भारत ट्रेनों (New version of Vande Bharat) को पूरे देश में चलाना है। अगले तीन वर्षों में चार सौ ट्रेनें चलाने की योजना है। पहले चरण में रेलवे द्वारा 75 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण पर काम किया जा रहा है। अभी तक पांच रुटों पर वंदे भारत ट्रेनें चलने भी लगी हैं।
नए वर्जन की सभी ट्रेनें होंगी स्लीपर
पुरानी वर्जन की सभी ट्रेनें बैठकर यात्रा करने वाली हैं। दूसरे चरण में दो सौ नई ट्रेनों का निर्माण करना है। सारी ट्रेनें स्लीपर होंगी। जिन कंपनियों को निर्माण का जिम्मा दिया जाएगा, उन्हें 24 महीने से 30 महीने के भीतर काम पूरा करना होगा। रेलवे मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि निर्माता कंपनियों के सामने बोगियों के निर्माण के लिए एल्युमिनियम का भी विकल्प होगा। यह स्टील की तुलना में काफी हल्की होती है।
मंत्रालय की तैयारी पहले वाली वंदे भारत ट्रेनों की तुलना में नई वर्जन को हल्का रखना है, ताकि रफ्तार ज्यादा हो सके। प्रत्येक बोगी का वजन दो से तीन टन के भीतर रखना है। इससे (New version of Vande Bharat) अधिक रखने पर रफ्तार प्रभावित होगी। पहले वर्जन वाली एक ट्रेन के निर्माण में सौ करोड़ रुपये खर्च आता है। नई वर्जन की ट्रेनों में बायो-वैक्यूम शौचालय, वाईफाई और आटोमेटिक दरवाजे होंगे। इसमें अत्याधुनिक सुरक्षा कवच होगा, जो हादसे से बचाएगा।
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बोगियों में आग लगने का कम खतरा
एक ट्रेन के सामने दूसरे के आने पर अपने आप ब्रेक लग जाएगा। (New version of Vande Bharat) बोगियों में आग लगने का खतरा भी कम होगा, क्योंकि इसकी सूचना दूसरी बोगियों में पहले ही पहुंचा दी जाएगी। वजन में हल्का होने के चलते नई ट्रेनें दो मिनट के भीतर 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार तक पहुंच सकती हैं। जल्द ही यात्रियों को वंदे भारत में बैठने का अवसर प्राप्त होगा|