सिरसा।(सतीश बंसल) आचार्य श्री महाश्रमण की सुशिष्याएं समणी जयंत प्रज्ञा (Samani Sanmati Pragya) एवं सन्मति प्रज्ञा के सान्निध्य में सेठ सागरमल सुरणामल जैन माध्यमिक विद्यालय विद्यालय के प्रांगण में प्रवचन का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यालय रेणु बाला ने समणी जी, विद्यालय प्रबंधक कमेटी और समस्त श्रावक समाज का अभिनंदन किया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए समणी सन्मति प्रज्ञा ने कहा कि विद्यार्थी जीवन, जीवन का स्वर्णिम काल है। सुख, सुविधा, मोबाइल, जंक फूड से दूर रहकर, पुरुषार्थ, लग्र और संकल्प के साथ आगे बढ़ें। समणी जयंत प्रज्ञा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थी और अध्यापक दोनों का विशेष महत्व है।
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शिक्षक पर शिक्षण की विशेष जिम्मेदारी होती है। प्रतिदिन पढ़ाए जाने से पूर्व शिक्षक को अपने पाठ्यक्रम की तैयारी पूर्वक जाना चाहिए। चाहे वह उस विषय में निपुण हो। विद्यार्थी को पांच बातों का विशेष सम्मान करना चाहिए पुरूषार्थ, एकाग्रता, अल्पनिंद्रा, समयबद्ध निंद्रा, पोषक आहार और घर की चिंताओं और वातावरण से अप्रभावित। जैन स्कूल के अध्यक्ष पदम जैन ने समणीवृंद को स्कूल की प्रगति रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी। अध्यापिका दीपिका ने कार्यक्रम का संचालन और आभार व्यक्त किया। (Samani Sanmati Pragya)
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इस अवसर पर ऐतिहासिक नाट्य मंचन के सभी कलाकारों की कला और प्रस्तुति की सभी ने प्रशंसा की। विद्यालय प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष पदम जैन, प्रबंधक हनुमान मल गुजरानी, ट्रस्टी राजेंद्र गोलछा, महिला मंडल अध्यक्ष कुसुमलता गोयल, मंत्री पिंकी गोलछा, युवक परिषद के पूर्व अध्यक्ष कमल सुराणा, वर्तमान मंत्री कुनाल नौलखा व जैन समाज के अन्य श्रावक-श्राविका उपस्थित थे।