लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नए प्रदेश अध्यक्ष की प्रतीक्षा के बीच ही वर्तमान अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के इस्तीफे (Swatantradev Singh Resignation) की खबर बुधवार को वायरल हो गई। कहा जा रहा है कि वह अपने पद से त्याग-पत्र गुपचुप तरीके से केंद्रीय नेतृत्व को सौंप आए हैं।
चूंकि, भाजपा में यूं अध्यक्ष द्वारा अपनी ओर से त्याग-पत्र दिए जाने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए इस खबर ने तूल पकड़ लिया। दूसरी वजह यह भी कि योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) में स्वतंत्रदेव जलशक्ति विभाग के कैबिनेट मंत्री हैं और उन्हीं के विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने भी पिछले दिनों त्याग-पत्र की पेशकश कर सनसनी फैलाई थी।
संगठन में वर्षों तक पसीना बहाने का इनाम पार्टी ने स्वतंत्रदेव सिंह को जुलाई, 2019 में प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दिया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने नगर निकाय, एमएलसी चुनाव सहित विधानसभाा चुनाव-2022 में शानदार जीत दर्ज की। इसी का फल देते हुए उन्हें योगी सरकार 2.0 में जलशक्ति विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया।
चूंकि, भाजपा में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत है, इसलिए स्वतंत्रदेव को मंत्री बनाए जाने के बाद ही तय हो गया था कि अब प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा किसी और को सौंपा जाएगा। इस बीच उनका उपलब्धियों भरा तीन वर्ष का कार्यकाल भी 19 जुलाई को पूरा हो गया। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष दोहरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं।
इधर, पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर मंथन भी लगातार चल रहा है। वहीं, बुधवार को इंटरनेट मीडिया पर यह सूचना वायरल हो गई कि स्वतंत्रदेव सिंह ने दिल्ली जाकर गुपचुप तरीके से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को प्रदेश अध्यक्ष पद से त्याग-पत्र सौंप दिया है। उनके इस्तीफे को लेकर अलग-अलग चर्चा शुरू हो गईं।
कुछ लोगों ने इसे हाल ही में जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक द्वारा इस्तीफा देने और फिर पार्टी नेतृत्व के दखल पर वापस लिए जाने के घटनाक्रम से भी जोड़ दिया। हालांकि, यह निराधार इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि त्याग-पत्र प्रदेश अध्यक्ष पद से दिए जाने की बात है, जलशक्ति मंत्री के पद से नहीं।
वहीं, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि भाजपा में नए अध्यक्ष की घोषणा के बाद वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल स्वत: समाप्त हो जाता है। पार्टी में अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा दिए जाने की कोई परंपरा नहीं है। यह अलग परिस्थिति है कि किसी से इस्तीफा मांगा जाए या कोई नाराजगी में दे दे।
बहरहाल, यह तय हो गया है कि पार्टी को प्रदेश संगठन का मुखिया अब जल्द ही मिलने जा रहा है। इस संबंध में स्वतंत्रदेव से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने न तो फोन रिसीव किया और न ही मोबाइल पर भेजे मैसेज का जवाब दिया। प्रदेश स्तर के नेता भी इसकी पुष्टि तो दूर, इस पर कोई टिप्पणी करने से भी बचते रहे।
अध्यक्ष पद के कई दावेदार : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नामों की चर्चा है। इनमें सवर्ण वर्ग से पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक, नोएडा सांसद डा. महेश शर्मा और अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम के नाम हैं। पिछड़ों में सांसद बीएल वर्मा और पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी के अलावा तेजी से उपमुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का नाम चर्चा में आया है। दलित वर्ग से सांसद डा. रामशंकर कठेरिया, विद्यासागर सोनकर और लक्ष्मण आचार्य दौड़ में बताए जा रहे हैं।