नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है। इस जटिल प्रक्रिया को तत्काल व्यवस्थित करने की अत्यंत आवश्यकता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पार्डीवाला की खंडपीठ ने शुक्रवार को केंद्र की ओर से पेश एडीशनल सोलीसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह देश में बच्चों को गोद लेने की प्रकिया को सरल बनाने का विस्तृत ब्योरा दें।
खंडपीठ ने कहा है कि बच्चा गोद लेने संबंधी जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने की वजह यह है कि देश में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत जटिल और कठिन है। सेंट्रल एडाप्शन रिर्सोस अथारिटी (कारा) की वार्षिक क्षमता साल में दो हजार बच्चों को गोद देने की है। यह क्षमता अब बढ़कर चार हजार हो गई है। लेकिन देश में तीन करोड़ बच्चे अनाथ हैं। इसलिए इस प्रक्रिया को तुरंत व्यवस्थित करने की जरूरत है।
अदात ने नटराज से कहा कि वह जनहित याचिकाकर्ता ‘द टेंपल आफ हीलिंग’ को सुझाव दें और इस प्रक्रिया को छोटा और सरल बनाने के लिए किए गए उपायों का ब्योरा हलफनामा दायर करके तीन हफ्ते में कोर्ट को दें। इस पर एएसजी ने कहा कि उन्हें एनजीओ की विश्वसनीयता की कोई जानकारी नहीं है और उन्हें जनहित याचिका की प्रति भी अभी तक नहीं मिली है। खंडपीठ ने कहा कि शुरू में उन्हें भी एनजीओ के इरादे पर संशय था, लेकिन एनजीओ की ओर से पेश पियूष सक्सेना इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक बड़ी कंपनी कारपोरेट नौकरी छोड़ दी है। उन्होंने सक्सेना को जनहित याचिकी की प्रति नटराज को देने को कहा। ताकि वह तीन हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल कर सकें।
गौरतलब है कि 11 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने भारत में बच्चे को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी। याचिका में कहा गया था कि देश में सालाना केवल 4,000 बच्चों को गोद लिया जाता है। एनजीओ की ओर से पेश सक्सेना ने कहा कि उन्होंने बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को कई बार आवेदन किया था, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।