नई दिल्ली। जुलाई में देश के निर्यात (Export) में गिरावट हुई है। आधिकारिक डाटा के अनुसार, पिछले महीने निर्यात 0.76 प्रतिशत घटकर 35.24 अरब डालर हो गया है। आयात-निर्यात (Export-Import Data) की जानकारी देते हुए वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि जुलाई में व्यापार घाटा 31.02 अरब डालर रहा है। डाटा के मुताबिक, जुलाई में आयात 66.26 अरब डालर रहा है जो पिछले साल समान अवधि में 46.15 अरब डालर था। जुलाई 2021 में व्यापार घाटा 10.63 अरब डालर था। सुब्रमण्यम ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में निर्यात 156.41 अरब डालर रहा है। इससे 470 अरब डालर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। डाटा के अनुसार, जुलाई में सोने का आयात करीब आधा घटकर 2.37 अरब डालर रहा है। पिछले साल जुलाई में 4.2 अरब डालर के सोने का आयात हुआ था।
इस वजह से आई गिरावट
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट एक साल पहले के मुकाबले 0.76 फीसद घटकर 37.24 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि कमोडिटी की ऊंची कीमतों और कमजोर रुपये के कारण महीने के दौरान आयात 44 फीसद बढ़कर 66.26 बिलियन डॉलर हो गया। नतीजतन, निर्यात और आयात के बीच के अंतर् को बताने वाला व्यापार घाटा (Trade Deficit) पिछले साल जुलाई में 10.63 बिलियन डॉलर से तीन गुना हो गया। पश्चिमी बाजारों में मांग में कमी के कारण इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण, पेट्रोलियम, फार्मा, तैयार वस्त्र और सूती धागे सहित प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में जुलाई में गिरावट दर्ज की गई। निर्यात को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में विदेशों में गेहूं, स्टील, लोहा और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर भारत के प्रतिबंध शामिल हैं।
रुपये पर क्या होगा असर
बढ़ते घाटे से रुपये पर दबाव पड़ने की संभावना है, जो दो सप्ताह पहले 80.16 के निचले स्तर को छूने के बाद पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है। हालांकि, मंदी के डर से कमोडिटी और ऊर्जा की कीमतों में गिरावट रुपये की कीमत को थामने में मदद करेगी। आगे आने वाले दिनों में जिंसों की कीमतों में नरमी से आयात में नरमी की उम्मीद है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में मंदी से निर्यात प्रभावित हो सकता है। मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष में 470-480 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2013 में सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत से दोगुना हो जाएगा, जो पिछले साल 1.2 फीसद था।