बिजनौर। एनआइए अधिकारी तंजील अहमद और उनकी पत्नी की हत्या के मामने में शातिर मुनीर को साथी रय्यान संग शनिवार को फांसी की सजा सुनाई गई। मुनीर अपने आपराधिक जीवन के शुरुआती साढ़े तीन साल में ही वह राज्य स्तर के बदमाशों की सूची में शामिल हो गया था। अलीगढ़ विश्वविद्यालय में पढ़ने गया मुनीर जरायम के दल-दल में फंसता गया। वह एक अंतरराज्यीय गिरोह खड़ा कर उनका सरगना बन गया। उसके गिरोह में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार के करीब 15 बदमाश शामिल थे। कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भी मुनीर के चेहरे पर कोई खौफ नहीं दिखाई दिया।
यह है मामला
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम डा. विजय कुमार तालियान ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या के मामले में आरोपित मुनीर और रैयान को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने आरोपितों के अपराध को विरल से विरलतम श्रेणी में माना है।
हत्या क्रूरता की पराकाष्ठा
कोर्ट ने आदेश में लिखा कि दोषियों ने पूर्व नियोजित योजना के अनुसार नृशंस हत्या की है। इस घटना को बिना किसी उकसावे के अंजाम दिया गया। दोषियों द्वारा एक पुलिस अधिकारी और उनकी पत्नी पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर की गई यह हत्या क्रूरता की पराकाष्ठा है।
छह साल एक माह में मिली फांसी की सजा
बहुचर्चित तंजील अहमद हत्याकांड में दो अप्रैल 2016 की रात मुनीर ने अपने साथी रय्यान के संग मिलकर अंजाम दिया था। हत्याकांड के 26 जून को मुनीर की गिरफ्तारी नोएडा में की गई थी। मामला कोर्ट में चला तो दोषी ठहराने जाने तक 159 तारीख लगीं। 19 गवाहों ने कोर्ट में बयान दिए। इस न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने में 73 महीने 18 दिन का वक्त लगा। इस दौरान 44 गवाह बनाए गए थे। केस में सिर्फ 19 गवाही हुई। इनमें पुलिसकर्मी, डॉक्टर और स्वजन शामिल थे।